डॉ. सुनील बसंलः शहर के 10 बड़े पार्क में चाय पर चर्चा करेंगे। लोग सुबह पार्क में घूमने आते हैं। इसीलिए सुबह 6.30 से 8.30 बजे तक का समय रखा है। उस समय चिकित्सक मौजूद रहेंगे। वहां जो भी लोग होंगे, उनसे डायबिटीज से बचाव पर चर्चा करेंगे। जिन्हें डायबिटीज होने की संभावना है, उनसे बात करेंगे कि क्या दवा लें, क्या खान-पान में परिवर्तन करें कि डायबिटीज न हो। वहां मौजूद सभी लोगों की निःशुल्क डायबिटीज की जांच करेंगे। शुगर फ्री चाय भी दी जाएगी। इस तरह मॉर्निंग वॉक, नाश्ता और रोग से बचाव पर भी चर्चा एक साथ हो जाएगी।
डॉ. सुनील बंसलः दवा अब आ गई है, लेकिन इसे देने की सीमा रेखा है कि किसे दें। ये उन्हें दी जाती है, जो हाईरिस्क वाले होते हैं या जिन्हें कभी भी डायबिटीज हो सकती है। सबको नहीं दे सकते हैं। यह दवा बिना चिकित्सक की सलाह के नहीं लेनी चाहिए।
डॉ. सुनील बंसलः डायबिटीज के मानक बढ़ाने वाले भी हमारे बीच के लोग हैं। विभिन्न देशों में जो वैज्ञानिक हैं, वे मानव हित के लिए काम करते हैं। हमें उन पर विश्वास करना चाहिए। वॉट्सऐप की बातों का कोई मायने नहीं है।
डॉ. सुनील बंसलः वो एक सप्लीमेंट है, मेन लाइन ट्रीटमेंट नहीं है। डायबिटीज हो या न हो, तब भी आप कहते हैं कि फास्टफूड मत खाओ, चिकनाई मत खाओ। डायबिटीज नहीं है तब भी करेला खाइए, फायदा करता है। करेला खाने का मतलब यह नहीं है कि देशी उपचार हो गया। यह तो सामान्य जीवन शैली का हिस्सा है।
डॉ. सुनील बंसलः टहलना या व्यायाम एक है। इसमें परहेज, जीवन शैली, तनाव से बचना है, तम्बाकू से बचना है, शराब से बचना है, वजन कम रखना है, बहुत सारी चीजें करनी हैं।
डॉ. सुनील बंसलः आगरा ही नहीं, पूरे संसार में डायबिटीज का कारण प्रदूषण निकलकर आ रहा है। प्रदूषण से मतलब केवल हवा के प्रदूषण से ही नहीं है। कीटनाशक (पेस्टीसाइड), रासायनिक खाद, समुद्र, नदी, खेतों में प्लास्टिक घुल-घुलकर जा रहा है, प्रदूषित पानी भी डायबिटीज का बड़ा कारण है। ये माना जा रहा है कि पिछले 20 साल में मधुमेह का जो विस्फोट हुआ है, उसमें कहीं न कहीं प्रदूषण का हाथ है।