व्यतिपात बाधाकारक योग सायं ७.४१ तक, इसके बाद वरियान नामक नैसर्गिक शुभ योग है। इस योग में मांगलिक कार्य सर्वथा वर्जित है।
•Mar 11, 2018 / 10:13 am•
सुनील शर्मा
नवमी रिक्ता संज्ञक तिथि प्रात: ८.३६ तक, फिर दशमी पूर्णा संज्ञक तिथि प्रारंभ हो जाएगी। नवमी की वृद्धि हुई है। नवमी में विग्रह, कलह और शस्त्र संबंधी कार्य सिद्ध होते हैं। दशमी में यथा आवश्यक विवाहादि मांगलिक कार्य, गृहारम्भ, यात्रा, प्रवेश, वाहन, राजकीय कार्य तथा अन्य घरेलू उत्सवादि शुभ होते हैं।
शुभ वि.सं. : २०७४, संवत्सर: साधारण, अयन: उत्तरायण, शाके: १९३९, हिजरी: १४३९, मु.मास: जमादि-उलसानि-२२, ऋतु: बसन्त, मास: चैत्र, पक्ष: कृष्ण।
नक्षत्र: पूर्वाषाढ़ा ‘उग्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र संपूर्ण दिवारात्रि है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में यथा आवश्यक कुआं, कृषि, विग्रह, जेल से छोडऩा, कठिन व साहसिक कार्य आदि कार्य प्रशस्त हैं। विवाहादि मांगलिक कार्य शुभ नहीं होते।
श्रेष्ठ चौघडि़ए:
आज प्रात: ८.१३ से दोपहर १२.३७ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा दोपहर बाद २.०५ से अपराह्न ३.३३ तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.१३ से दोपहर १.०२ बजे तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
राहुकाल:
सायं ४.३० बजे से सायं ६.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभ कार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।
योग: व्यतिपात बाधाकारक योग सायं ७.४१ तक, इसके बाद वरियान नामक नैसर्गिक शुभ योग है। इस योग में मांगलिक कार्य सर्वथा वर्जित है। भद्रा: रात्रि ९.५५ तक भद्रा है। भद्रा में शुभ व मांगलिक कार्य निन्दनीय हैं। ग्रह राशि-नक्षत्र परिवर्तन: प्रात: ९.३२ पर मंगल उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में प्रवेश करेगा। चन्द्रमा: सम्पूर्ण दिवारात्रि धनु में है।
वारकृत्य कार्य: रविवार को सामान्यत: सभी स्थिर, राज्याभिषेक, ललित कला सीखना, यान यात्रा, पशु क्रय, धातु कार्य, औषध, जड़ी-बूंटी संग्रह, शिक्षा-दीक्षा और यज्ञादि कार्य करने योग्य हैं। दिशाशूल : रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। चन्द्र स्थिति के अनुसार आज पूर्व दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद है।
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