देवी कात्यायनी का यह स्वरूप क्रोध के सकारात्मक उपयोग को प्रदर्शित करता है। इनकी पूजा के लिए क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नमः या ऊं देवी कात्यायन्यै नमः मंत्र जपना चाहिए। साथ ही देवी कात्यायनी को मधु अर्थात शहद का प्रसाद अर्पित करना चाहिए। इनकी पूजा नवरात्रि के छठें दिन की जाती है। इस दिन मां कात्यायनी के उपाय जरूर करना चाहिए।
मां कात्यायनी का स्वरूप
Maa Katyayini Swaroop: हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को शासित करती हैं। देवी कात्यायनी को विशाल दैवीय सिंह पर आरूढ़ और चतुर्भुज रूप में दर्शाया जाता है। देवी कात्यायनी अपने बाएं हाथों में कमल पुष्प और तलवार धारण करती हैं और दाहिने हाथों को अभय मुद्रा और वरद मुद्रा में रखती हैं। इस देवी का प्रिय पुष्प लाल है, विशेष रूप से गुलाब के लाल फूल इन्हें प्रिय हैं।शीघ्र विवाह के लिए मां कात्यायनी की पूजा विधि (Maa Katyayani Ki Puja Vidhi)
1. मां कात्यायनी की पूजा सुबह करने के बाद दोबारा गोधूलि वेला में करने का नियम है।मां कात्यायनी के मंत्र
1. “कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।” 2. ॐ ह्रीं नम:।।’ 3. चन्द्रहासोज्जवलकराशाईलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।। 4. ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥ 5. पूजा के बाद हल्दी की गांठ अपने पास रख लें और गलती के लिए क्षमा मांगें।