बगलामुखी उत्पत्ति
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय पृथ्वी पर विशाल प्रलयंकारी चक्रवात आया, जिससे सम्पूर्ण सृष्टि पर विनाश का संकट छा गया। इस संकट के निवारण के लिए देवता सौराष्ट्र प्रान्त में एकत्रित हुए और देवी के समक्ष प्रार्थना की। देवताओं की प्रार्थना से प्रसन्न होकर देवी बगलामुखी हरिद्रा सरोवर से प्रकट हुईं और भीषण चक्रवात को शांत किया।बगलामुखी स्वरूप और महत्व
देवी बगलामुखी स्वर्ण वर्ण वाली हैं। देवी पीले कमल पुष्पों से भरे अमृत सागर के मध्य एक स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान रहती हैं। एक अर्धचंद्राकर चंद्रमा उनके माथे पर सुशोभित रहता है। वह पीले रंग की पोशाक में रहती हैं। देवी की दो भुजाएं हैं। माता बगलामुखी को अपने दाहिने हाथ में गदा धारण किए और बाएं हाथ से एक दानव की जीभ पकड़कर उसे मारते हुए दिखाया जाता है। देवी की यह छवि उनके स्तम्भन स्वरूप को प्रदर्शित करती है।मां बगलामुखी बीज मंत्र
ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नमः॥मां बगलामुखी के अन्य मंत्र
- ह्लीं॥
- ॐ ह्लीं ॐ॥
- ॐ आं ह्लीं क्रों॥
- ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट्॥
- ॐ आं ह्लीं क्रों हुं फट् स्वाहा॥
- ह्रीं क्लीं ह्रीं बगलामुखि ठः॥
- ॐ ह्लीं क्लीं ह्लीं बगलामुखि ठः ठः॥
- ह्लीं बगलामुखी विद्महे दुष्टस्तंभनी धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
ऐसे करें मां बगलामुखी की पूजा
- सुबह नित्य कर्म और स्नान करने के बाद पूर्वमुखी होकर पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
- माता को पीले आसन पर विराजमान करके, पूजा सामग्री एकत्रित करें।
- सामान्यजन इस दिन उपवास रखकर उन्हें पीले रंग के फूल, पीले रंग का चंदन और पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
- माता के समक्ष धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं।
- पूजा के बाद मां बगलामुखी की आरती उतारें और उनकी आरती करें।
- आरती के बाद मां बगलामुखी चालीसा पढ़ें। शाम के समय मां बगलामुखी की कथा का पाठ करें।
- हल्दी की माला से पूजा और जाप करने से जातक की सभी बाधाओं और संकटों का नाश होता है और इसके साथ ही शत्रु पराजित होते हैं।
- मां बगलामुखी जयंती पर व्रत करने वाले जातक शाम के समय फल खा सकते हैं।
बगलामुखी पूजा विधान (प्रक्रिया)
विनियोगदाहिने हाथ में जल लेकर इस मंत्र का उच्चारण करें, मंत्र पूरा होने पर जल को नीचे धरती पर छोड़ दें।
विनियोग मंत्र
अस्य : श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि ।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे । श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये ।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये । स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो: ।
ॐ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग: ।
सीधे हाथ में जल, अक्षत, पुष्प, हल्दी, कुमकुम व नैवेद्य आदि लेकर नीचे दिये गये मंत्र का उच्चारण करते हुए मां बगलामुखी का पूजा स्थल पर आह्वान करें
आवाहन मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा ।
आवाहन के बाद दोनों हाथों को जोड़कर मंत्र बोलते हुए श्रद्धा पूर्वक आज्ञा चक्र या हृदय में माता का ध्यान करें। ध्यान मंत्र
सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम् ।
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत् ।।
इस क्रम पूरा होने के बाद शांत चित्त, कुशा या कंबल के आसन पर बैठकर नीचे दिए गए 36 अक्षरों वाले मां बगलामुखी के मंत्र का तुलसी या स्फटिक की माला से जप करें । इस मंत्र को 1 लाख की संख्या में जप करने पर भी यह सिद्ध हो जाता है । अधिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए 5 या 11 लाख जप करने पड़ते हैं । जप पूर्ण होने पर पूर्णाहूति के रूप में जप का दशांश यज्ञ एवं दशांश तर्पण करना भी आवश्यक है ।
– ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा । (नोट-इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं, www.patrika.com इसका दावा नहीं करता। इसको अपनाने से पहले और विस्तृत जानकारी के लिए किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।)