धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग इन दोनों तिथि के दिन सच्चे मन से पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। बता दें कि नवमी को नवरात्रि का अंतिम दिन माना जाता है, जिस दिन माता दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध किया था।
कब है अष्टमी और नवमी
Kab Hai mahashtami: भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि का आरंभ 10 अक्टूबर को दोपहर 12:31 बजे से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12:06 बजे होगा। अष्टमी तिथि के समाप्त होते ही नवमी तिथि शुरू हो जाएगी, जिसका समापन 12 अक्टूबर को सुबह 10:57 बजे होगा। उदयातिथि के आधार पर इस बार अष्टमी और नवमी तिथि का व्रत 11 अक्टूबर 2024 को एक दिन ही रखा जाएगा। इस आधार पर महा अष्टमी और महानवमी तिथि शुक्रवार 11 अक्टूबर 2024 को है और इसी दिन
कन्या पूजन होगा।
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
Kanya Puja Muhurt: डॉ. व्यास के अनुसार महाष्टमी पर कन्या पूजन 11 अक्टूबर को सुबह 07:47 बजे से लेकर 10:41 बजे तक कर सकते हैं। इसके बाद दोपहर 12:08 बजे से लेकर 1:35 बजे तक कन्या पूजा कर सकते हैं।
कन्या पूजा विधि (Kanya Puja Vidhi)
1. एक दिन पहले ही दस वर्ष से कम उम्र की नौ कन्याओं को न्योता दे दें। एक बालक को भी न्योतें। 2. कन्या पूजन के दिन घर आईं कन्याओं का सच्चे मन से स्वागत करें। मान्यता है कि इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं। 3. इसके बाद स्वच्छ जल से उनके पैरों को धोएं, इससे भक्त के पापों का नाश होता है। 4. इसके बाद सभी नौ कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें। इससे भक्त की तरक्की होती है।
5. पैर धोने के बाद कन्याओं को साफ आसन पर बिठाएं और अब सारी कन्याओं के माथे पर कुमकुम का टीका लगाएं। इसके बाद कलावा बांधें। 6. कन्याओं को भोजन कराने से पहले अन्न का पहला हिस्सा देवी मां को भेंट करें, फिर सारी कन्याओं को भोजन परोसें।
7. वैसे तो मां दुर्गा को हलवा, चना और पूरी का भोग लगाया जाता है। लेकिन अगर आपका सामर्थ्य नहीं है तो आप अपनी इच्छानुसार कन्याओं को भोजन कराएं। भोजन समाप्त होने पर कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा अवश्य दें। क्योंकि दक्षिणा के बिना दान अधूरा रहता है। यदि आप चाहते हैं तो कन्याओं को अन्य कोई भेंट भी दे सकते हैं।
8. अंत में कन्याओं के जाते समय पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और देवी मां को ध्यान करते हुए कन्या भोज के समय हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा मांगें। ऐसा करने से देवी मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं।
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