दीपावली पूजा विधि (Deepavali Puja Vidhi)
दीवाली के दिन अमावस्या तिथि पर भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी की नई प्रतिमाओं की पूजा की जाती है। लक्ष्मी, गणेश पूजा के साथ इस दिन कुबेर पूजा और बहीखाता की भी पूजा की जाती है। आत्म-शोधनः आंतरिक और वाह्य आत्म शुद्धि
संकल्पः सम्पूर्ण विधिविधान से दिवाली पूजा अनुष्ठान के लिए सबसे पहले पवित्र संकल्प लेना चाहिए।
शांतिपाठः समस्त प्राणियों के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि के लिए शांति पाठ भी इसका प्रमुख हिस्सा है।
मंगलपाठः समस्त प्राणियों की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मंगल पाठ भी जरूरी माना जाता है।
कलश स्थापनाः कलश स्थापना की विधि को विस्तार से अपनाना चाहिए।
गणपति पूजाः संक्षिप्त पंच चरणीय गणेश पूजन विधि भी इसमें शामिल करना चाहिए।
नवग्रह पूजाः संक्षिप्त नवग्रह पूजा भी इसका हिस्सा होना चाहिए।
षोडश मातृका पूजाः विस्तृत लक्ष्मी पूजा में 16 मातृका का संक्षिप्त पूजा करने का नियम है।
भगवान गणेश की नई मूर्ति की पूजाः इसके बाद भगवान गणेश की नई मूर्ति की षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए।
श्रीलक्ष्मी की नई मूर्ति की पूजाः इसके बाद देवी लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए।
महाकाली पूजाः लेखनी दवात पर महाकाली पूजा करनी चाहिए।
सरस्वती पूजाः बही-खाते पर सरस्वती पूजा करनी चाहिए।
कुबेर पूजाः तिजोरी बक्से पर श्रीकुबेर पूजा करनी चाहिए।
दीपमालिका पूजाः दीप-मालिका पूजा विधि के समस्त आवश्यक चरण अपनाने चाहिए।
विसर्जनः प्रार्थना द्वारा औपचारिक रूप से दिवाली पूजा सम्पन्न करना चाहिए।
नोटः इन विधि विधान में कई घंटे का समय लगता है और 1 नवंबर 2024 को दिवाली मना रहे लोगों के पास अमावस्या तिथि में लक्ष्मी पूजा मुहूर्त कम समय के लिए है। इसलिए इसे मुहूर्त समय से पहले शुरू किया जा सकता है ताकि कम से कम लक्ष्मी पूजा अमावस्या तिथि के मुहूर्त में पूरा किया जा सके। बाकी की पूजा को मुहूर्त बीतने के बाद भी पूरा करने में दोष नहीं माना जाता है।
साथ ही यह ध्यान रहे कि दिवाली पूजा में जलाया गया दीप रात के बाद भी जलता रहे। पूजन के बाद श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त और देवी लक्ष्मी की अन्य स्तुतियों का पाठ करना चाहिए। यदि संभव हो तो देवी लक्ष्मी की स्तुति के लिए जागरण करें।
आइये जानते हैं 1 नवंबर 2024 दिवाली लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
Deepavali Laxmi Puja 2024: ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार 1 नवंबर दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त 5.40 से शुरू हो रहा है, लेकिन अमावस्या 6.17 बजे समाप्त हो रही है। ऐसे में जो लोग लक्ष्मी पूजा अमावस्या तिथि में ही करना चाहते हैं, उनके लिए पूजा का मुहूर्त 37 मिनट का ही है।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (Laxmi Puja Muhurt)
दिवाकाल का श्रेष्ठ चौघड़िया
चर लाभ अमृत का चौघड़िया : प्रातः 6:40 से प्रातः 10:47 तक
अभिजीतः प्रातः 11:46 से दोपहर 12:34 तक
शुभ का चौघड़ियाः दोपहर 12:10 से दोपहर 01:33 तक
चर का चौघड़िया : सायं 04:17 से सायं 05:40 तक
रात्रि का श्रेष्ठ चौघड़िया
लाभ का चौघड़िया : रात्रि 08:57 से रात्रि 10:34 तकशुभ-अमृत-चर का चौघड़ियाः मध्यरात्रि 12:10 से अंतरात्रि 05:02 तक
सर्वश्रेष्ठ समय (Lakshami Puja Best Time)
प्रदोष काल ( लग्न ): सायं 05:40 – रात्रि 08:16 तकइसके अतिरिक्त सायं 06:41 से सायं 06:53 (इसमें प्रदोष काल, स्थिर वृष लग्न और कुम्भ का नवमांश रहेगा) तक रहेगा।
वृष काल ( लग्न ): सायं 06:31 – रात्रि 08:28 तक
सिंह काल ( लग्न ): मध्यरात्रि 01:01 – अन्तरात्रि 03:17 तक
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।