यही नहीं, इस बार दुबई एक्सपो में भारत का दम पूरी दुनिया देख रही है। एक्सपो में इस बार सबसे बड़ा आकर्षण भारत का पैवेलियन है। इससे पूरी दुनिया भारत का दम देखेगी। भारत की ओर से टाटा ग्रुप, रिलायंस, अडाणी, वेदांता, HSBC जैसी कई दिग्गज कंपनियाों के साथ-साथ सैकड़ों बिजनेस ग्रुप भी हिस्सा ले रहे हैं।
इस बार एक्सपो में दुनियाभर की तमाम दिग्गज कंपनियां अपने उत्पादों के अलावा नई तकनीक और इनोवेशन का अदभुत संगम होगा। एक्सपो में 192 से ज्यादा देश इक्ट्ठा हुए हैँ और सभी के अलग पैवेलियन बनाए गए हैं। सभी देशों के पवेलियन उनकी बढ़ती ताकत और क्षमता से दुनिया को रुबरू कराएंगे। यह पवेलियन 438 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। इसमें कुल 600 ब्लॉक बनाए गए हैं। ये ब्लॉक हमेशा घूमते रहेंगे। इन ब्लाकों का लगातार घूमना यह संकेत है कि भारत निरंतर आगे बढ़ रहा है।
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पवेलियन को बनाने में 500 करोड़ खर्च किए गए हैं। एक्सपो में भारतीय पवेलियन 11 अलग-अलग थीम पर तैयार किए गए हैं। ये भारत की बढ़ती ताकत और यहां निवेश की संभावनाओं को दिखाते है। इसके जरिए स्पेस टेक्नोलॉजी, रोबोटिक्स, साइबर सिक्योरिटी, हेल्थकेयर, स्टॉर्टअप्स, मेक इन इंडिया में निवेश की संभावनाएं बताई गई हैं।
हालांकि, दुबई एक्सपो वर्ष 2020 में आयोजित होना था, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसे टाल दिया गया। अब इसे 1 अक्टूबर 2021 में किया जा रहा है, लेकिन इसे नाम दुबई एक्सपो 2020 का ही दिया गया है। बता दें कि ओलंपिक के बाद यह दुनिया का सबसे बड़ा इवेंट होता है। यह इवेंट 182 दिन तक चलेगा और इसमें 192 देश हिस्सा ले रहे हैं। इस बार एक्सपो में करीब ढाई करोड़ लोगों के आने की उम्मीद की जा रही है। जिस जगह एक्सपो आयोजित हो रहा है वह 1100 हेक्टेयर इलाके में फैला है। इसके मुख्य गुंबद में लगभग 500 टन स्टील लगी है। इसके प्रवेश द्वार की ऊंचाई 21 मीटर है। इस एक्सपो में रोज 60 लाइव इवेंट आयोजित होंगे। एक्सपो में करीब डेढ़ लाख वालेंटियर और 46000 ऑर्गनाइजेशन शामिल हो रहे हैं।
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दरअसल, एक्सपो का इतिहास काफी पुराना है। वर्ल्ड एक्सपो की शुरुआत 1791 में चेक गणराज्य के बोहेमिया में आयोजित हुए एक वर्ल्ड फेयर से हुई, लेकिन आधिकारिक तौर पर पहला वर्ल्ड एक्सपो 1851 में लंदन के क्सिटल पैलेस में आयोजित हुआ। इसके बाद दुनिया के अलग अलग शहरों में इसकी शुरुआत हुआ। 1851 से 1938 तक वर्ल्ड एक्सपो औद्योगिकरण को दिखाने के लिए लगया जाता था। 1939 से इसकी थीम सांस्कृतिक विरासत की प्रदर्शनी में बदल गई, जो 1987 तक चली। 1988 के बाद वर्ल्ड एक्सपो में हर देश अपनी अपनी ब्रांडिग करने लगे, जो अब तक जारी है।