23 मार्च को हुआ था मॉस्को में हमला, 60 की मौत
थोड़ा गौर करेंगे तो पता चलेगा कि ठीक 3 महीने पहले 23 मार्च को आतंकवादी संगठन ISIS ने रूस के मॉस्को में भीषण आतंकी हमले को अंजाम दिया था। ये अटैक मॉस्को (Moscow Attack) में एक म्यूज़िक कॉन्सर्ट के दौरान हुआ था। ये कॉन्सर्ट मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल में हो रहा था। इस हॉल में कम से कम 6 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था है। आतंकियों ने अटैक तब किया था जब दर्शक रूस के दिग्गज रॉक बैंड को सुनने के लिए इकट्ठा हुए थे। तभी मशीनगन्स से लैस कम से कम 5 नकाबपोश आतंकी इस खचाखच भरे हॉल में घुस गए और भीड़ पर इन मशीनगन्स से अंधाधुंध गोलीबारी करने लगे (Terrorist Attack in Russia) इसके अलावा उन्होंने विस्फोटकों से हमला भी किया। जिससे पूरे कॉन्सर्ट में भीषण आग भी लग गई। इस विभत्स हमले में 60 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि 150 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इनमें से भी करीब 60 लोग की हालात बेहद गंभीर है। इस हमले की जिम्मेदारी ISIS ने ली थी।
23 मार्च वाली विभत्सता फिर दोहराई
अब इस हमले यानी 23 जून की देर रात को हुई इस घटना की बात करें तो आतंकियों का अटैक करने की तरीका बिल्कुल पिछले हमले की तरह ही था, ये नकाबपोश आतंकी आधुनिक हथियारों से लैस होकर दक्षिणी रूस के दागिस्तान (Dagestan) में तीन अलग-अलग जगह फैल गए थे, इन्होंने इन जगहों पर स्थित सारे पूजा और प्रार्थनाघरों में (ईसाई और यहूदियों के) घुस कर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं। यही नहीं इन आतंकियों की विभत्सता देखिए कि इन्होंने डर्बेंट में जब एक चर्च पर हमला किया तो वहां के पादरी को भी नहीं छोड़ा, आतंकियों ने उनकी उम्र का ही भी परवाह नहीं की। वो 66 साल के थे और बहुत बीमार थे।
ISIS ने किया हमला?
23 मार्च और 23 जून को हुए आतंकी हमले में एक तथ्य समान है कि इनका हमले करने का तरीका एक ही था। भीड़ में घुसकर अपने हथियारों से निर्दोशों पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाना। और इस बार इन्होंने ईसाई और यहूदी धर्म के पूजाघरों को टारगेट किया। हालांकि अभी किसी भी संगठन या समूह ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है लेकिन रूस की सुरक्षा एजेंसियों के शक की सुई आतंकी संगठन ISIS की तरफ ही घूम रही है।
क्यों कर सकता है ISIS हमला ?
मॉ़स्को में ISIS के हमले को लेकर विदेशी मामलों के जानकार कहते हैं कि ISIS मॉस्को यानी रूस को उनके संगठन के उत्पीड़क के तौर पर देखता है। इसके भी कई कारण हैं। 1- व्लादिमिर पुतिन (Vladimir Putin) के नेतृत्व में रूस की सेना ने मध्य-पूर्व देशों, खासकर सीरिया में हस्तक्षेप किया था जब 2014-15 में सीरिया में ISIS वहां की भीषण नरसंहार मचा रहा था तब वहां पर शासन को दोबारा स्थापित करने के लिए पुतिन ने रूसी सेना को वहां भेजा था।
2- सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद (Bashar al-Assad) चाहते थे कि रूस इस आतंकवादी संगठन का मुकाबला करे और देश में फिर से शांति स्थापित करने में उनकी मदद करे। 3- राष्ट्रपति असद के अनुरोध के बाद ही रूस ने अपनी सेना सीरिया में भेजी थी जो ISIS को रास नहीं आया। रूस की इस सेना में उसका खूंखार निजी सैन्य ग्रुप वैगनर (Wagner Group) भी शामिल था।
4- सीरिया में ISIS के खिलाफ रूस की कार्रवाई का ISIS ने विरोध किया था। रूस ने तब (2015 में) सीरिया के 26 प्रतिशत भाग को ISIS से मुक्त करा लिया था। 5- सीरिया में रूस के इस ऑपरेशन को अमेरिका का भी सहयोग मिला था। जो ISIS के पतन का अहम कारण बना था।
6- ISIS का अमेरिका और रूस के दुश्मनी मोल लेने का ये एक अहम कारण था। ISIS के सरगना अबु बकर अल बगदादी की 2019 में मौत के बाद ये दुश्मनी और भी ज्यादा बढ़ गई थी।
हालांकि अब ये हमला किसने किया इसका खुलासा रूस की खुफिया एजेंसी कर देगी, वहीं इस पर नजर रहेगी कि इस हमले की जिम्मेदारी कौन सा संगठन लेता है। ये भी पढ़ें-
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