रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के 2,200 मामले 8 दिसंबर 2024 तक रिपोर्ट किए गए हैं। वहीं 112 मामले अक्टूबर 2024 तक पाकिस्तान में रिपोर्ट किए गए। बांग्लादेश और पाकिस्तान को छोड़कर में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का कोई मामला नहीं है। सरकार ने इन घटनाओं को गंभीरता से लिया है और बांग्लादेश सरकार के साथ अपनी चिंताओं को साझा किया है।
भारत बार-बार उठा रहा है ये मुद्दा
उन्होंने कहा कि भारत को उम्मीद है कि बांग्लादेश सरकार हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए काम करेगा। 9 दिसंबर 2024 को विदेश सचिव की बांग्लादेश यात्रा के दौरान भी यही बात कही थी। अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले दिन में बांग्लादेश में पुलिस ने शनिवार सुबह शकुएयर इलाके में हिंदू मूर्तियों को तोड़ने के आरोप में एक शख्स को गिरफ्तार किया। गौरतलब है कि बांग्लादेश इन दिनों एक छात्र-नेतृत्व वाले आंदोलन के बाद उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। जिसके चलते पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटा दिया गया था। ये आंदोलन कई हिंसक घटनाओं से शुरू हुआ था, जिसमें हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों पर हमले और हिंदू मंदिरों को तोडऩा भी शामिल था।
बांग्लादेश में स्थिति जून 2024 में बिगड़नी शुरू हुई, जब ढाका के विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों ने सरकारी नौकरियों के लिए देश की कोटा प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर एकजुट हुए, जिसके कारण पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटा दिया गया। हफ़्तों तक चले विरोध प्रदर्शन और हिंसा के बाद 600 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई। हसीना भारत भाग गईं और यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार ने सत्ता संभाली। इसके बाद, इस्कॉन के पूर्व पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को बांग्लादेश में देशद्रोह के आरोप में ढाका एयरपोर्ट से पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया, जिसके बाद दुनिया भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।