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चीन के बाद अमेरिका ने भी बनाया ‘नकली सूरज’, दुनिया से खत्म होगा ऊर्जा संकट

चीन के बाद अमेरिका ने आर्टिफिशियल सूरज का निर्माण करने में सफलता हासिल कर ली है। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कहा कि वह इसकी सफलता की घोषणा मंगलवार को कर सकता है। इसकी सफलता मानव की फॉसिल फ्यूल की निर्भरता को खत्म कर देगा।

Dec 13, 2022 / 12:55 pm

Archana Keshri

US Artificial Sun: After China, America also made ‘fake sun’ in Lab, to reveal 'scientific breakthrough' amid fusion energy reports

US Artificial Sun: After China, America also made ‘fake sun’ in Lab, to reveal ‘scientific breakthrough’ amid fusion energy reports

पिछले साल चीन ने लैब में आर्टिफिशियल सूरज बनाकर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था। वहीं अब अमेरिका ने भी इस तरह का कारनामा कर दिखाया है। अमेरिका ने पही बार एक न्यूक्लिर फ्यूजन रिएक्शन को सफलातपूर्वक अंजाम दिया है। कैलिफोर्निया के लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी की नेशनल इग्निशन फैसिलिटी में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने यह कारनामा कर दिखाया है जिसके परिणामस्वरूप शुद्ध ऊर्जा पैदा हुई। वैज्ञानिकों ने सूरज की तरह ही शक्ति देने वाली ऊर्जा की नकल करने की कोशिश की है, इसलिए इसे ‘नकली सूरज’ कहा जाता है।
अमेरिका आज करेगा इसकी सफलता की घोषणा
इस ऑपरेशन में शामिल एक वैज्ञानिक ने सीएनएन से न्यूक्लियर फ्यूजन के कामयाब होने की पुष्टि की है। माना जा रहा है कि अमेरिकी ऊर्जा विभाग इसकी आधिकारिक रूप से इसकी सफलता की घोषणा मंगलवार यानी की आज कर सकता है। रविवार को विभाग ने कहा था कि अमेरिकी ऊर्जा सचिव जेनिफर ग्रानहोम मंगलवार को एक ‘प्रमुख वैज्ञानिक सफलता’ की घोषणा करेंगे। इसकी सफलता फॉसिल फ्यूल (fossil fuel) पर मानव की निर्भरता को खत्म करने में मदद कर सकती है।
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नकली सूरज से क्या होगा फायदा?
वर्तमान समय में परमाणु रिएक्टरों से जो ऊर्जा पैदा की जाती है और जिसका इस्तेमाल दुनिया में बिजली निर्माण के साथ-साथ अलग-अलग ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए होदा है, उसमें दिक्कत ये है कि उसमें न्यूक्लियर कचरे का भी निर्माण होता है, जिसे खत्म करना काफी मुश्किल होता है। मगर न्यूक्लियर फ्यूजन के जरिए मुख्य रूप से ड्यूटोरियम और ट्रिटियम तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है और ये दोनों हाइड्रोजन के समस्थानिक हैं। जिसकी वजह से इसमें किसी तरह का कोई कचरा उत्पन्न नहीं होता।
क्या है न्यूक्लियर फ्यूजन?
आसान शब्दों में कहें तो न्यूक्लियर फ्यूजन वो प्रक्रिया है जहां दो या उससे ज़्यादा परमाणुओं के साथ आने से एक परमाणु बनता है। इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर ऊर्जा निकलती है। सूरज इसकी सबसे बड़ी मिसाल है। इससे पैदा होने वाली ऊर्जा बहुत ही ज्यादा मात्रा में होती है। अगर इस ऊर्जा को नियंत्रित किया जा सके तो मानवता को प्रचुर और भरपूर मात्रा में स्थायी स्रोत मिल सकता है। वहीं चीन और अमेरिका की लैब ने इसमें सफलता हासिल कर ली है।
चीन भा कर चुका है आर्टिफिशियल सूरज का निर्माण
टेक्नोलॉजी के मामले में चीन ने अमेरिका, रूस और जापान जैसे देशों को पीछे छोड़कर सबसे पहले आर्टिफिशियल सूरज का निर्माण कर दुनिया में दूसरे सूरज के दावे को सच कर दिखाया था। ये प्रयोग चीन के अन्हुई प्रांत की राजधानी हेफ्यू में किया गया। यहीं नहीं चीन के इस आर्टिफिशियल सूरज ने बाद में एक विश्व रिकॉर्ड भी बनाया। चीन के इस न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर से 1056 सेकंड यानी कि लगभग 17 मिनट तक 7 करोड़ डिग्री सेल्सिय ऊर्जा निकाली थी। चीन के इस नकली सूरज से निकली अपार ऊर्जा से दुनिया टेंशन में आ गई है। चीन की इस सफलता के बाद अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने इस टेक्नोलॉजी में शोध के लिए तेजी ला दी। और अमेरिका ने भी इसमें सफलता हासिल कर ली है।

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