जलवायु संकट से होना होगा दो चार
- स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा होगी प्रभावित- वर्ष 2050 तक बच्चों को मौजूदा समय से आठ गुना गर्मी, तीन गुना भीषण बाढ़ और करीब दो गुना अधिक जंगल की आग की घटनाओं का सामना करना पड़ेगा। तापमान के बढ़ने से मच्छर जनित बीमारियों जैसे मलेरिया, जीका और वेस्ट नाइल वायरस का खतरा बढ़ जाएगा। पीने के पानी की दिक्कत होगी।
- दूषित जल के कारण पांच साल तक के बच्चों में मृत्यु का खतरा अधिक होगा। जलवायु संकट से बच्चों का स्कूल प्रभावित होगा, शिक्षा के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचेगा।
- 40 करोड़ शिक्षण संस्थानों पर ताला लटकने का खतरा बढ़ सकता है।
नई तकनीक
ऑनलाइन खतरे बढ़ जाएंगे
- नई तकनीकों को बढ़ावा मिलने से बच्चे ऑनलाइन के कई प्रकार के खतरों का सामना कर सकते हैं। विशेष रूप से बालिकाएं यौन और मानसिक उत्पीड़न और ब्लैकमेलिंग का शिकार हो सकती हैं।
- डिजिटल असमानता
घट जाएगा बच्चों का अनुपात
- बच्चों के अधिकारों की होगी अनदेखी : वर्ष 2050 तक बच्चों का अनुपात घट जाएगा। बच्चों की संख्या 2.3 अरब के मौजूदा आंकड़ों के बराबर ही रहेगी लेकिन दुनिया की आबादी 10 अरब हो जाएगी। बच्चे दुनिया की आबादी में एक छोटे से हिस्से का ही प्रतिनिधित्व करेंगे। दुनियाभर में बच्चों की आबादी में गिरावट आएगी जबकि सबसे गरीब देशों विशेष रूप से उप-सहारा अफ्रीका में जनसंख्या विस्फोट हो सकता है। कुछ विकसित देशों में बच्चे जनसंख्या के 10 प्रतिशत से भी कम हो सकते हैं। इससे बच्चों को लेकर बनने वाली नीतियों और अधिकारों की अनदेखी हो सकती है।
- भारत समेत चार देशों में होंगे एक तिहाई बच्चे: वर्ष 2050 तक दुनिया के एक तिहाई बच्चे भारत, चीन, नाइजीरिया और पाकिस्तान में होंगे। बच्चों की आधी आबादी केवल 10 देशों में होगी। अगले 25 साल तक भारत और चीन ही सबसे ज्यादा बच्चों की आबादी वाले देश बने रहेंगे। भारत में औसतन 35 करोड़ जबकि चीन में 20.3 करोड़ बच्चे होंगे।
बच्चे हमसे कर रहे यह अपील
हमारा भविष्य आपके आज के निर्णयों पर निर्भर है इसलिए नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाएं, जैव विविधता की रक्षा करें और स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करें। आइए एक ऐसी दुनिया का निर्माण करें जहां समृद्धि सभी के लिए हो और जहां हर व्यक्ति फल-फूल सके।ऐसे बच्चों को बचा सकेंगे: संयुक्त राष्ट्र
- बच्चों के शिक्षा और स्वास्थ्य पर निवेश बढ़ाना होगा।
- नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जरूरत।
- टिकाऊ और सभी सुख सुविधाओं से लैस शहर बसाने होंगे।
- हर बच्चे तक तकनीकी ज्ञान पहुंचाना होगा- गरीब मुल्कों में विशेष नीतियां लागू करनी होंगी
एक्सपर्ट व्यू
बच्चे जलवायु से लेकर ऑनलाइन खतरों तक असंख्य संकटों का सामना कर रहे हैं। ये खतरे आने वाले वर्षों में और तीव्र होने वाले हैं। – कैथरीन रसेल, कार्यकारी निदेशक, यूनिसेफयह भी पढ़ें – Food habits : खाने की आदतों में बदलाव से भारत में हो रही सेहत खराब, विश्व खाद्य संगठन ने 13 कारक गिनाए जो पहुंचा रहे हैं नुकसान