अब्दुल्ला शाहिद इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या किसी कोविड वैक्सीन को मान्यता दी जानी चाहिए और उन पर विचार किया जाना चाहिए या उन टीकों पर जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन या किसी अन्य संगठन द्वारा मान्य किया गया है। शाहिद ने कहा, टीकों के बारे में, यह एक बहुत ही तकनीकी प्रश्न है जो आपने मुझसे पूछा है. मुझे भारत में बना कोविशील्ड टीका लगा है, मुझे दोनों खुराकें मिल गई हैं।
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उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि कितने देश कहेंगे कि कोविशील्ड स्वीकार्य है या नहीं, लेकिन दुनिया के कई देशों को कोविशील्ड मिला है। उन्होंने हंसते हुए कहा, मैं जीवित हूं. लेकिन किसी दूसरे को, चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े किसी व्यक्ति को इसपर फैसला लेने दें, मुझे नहीं।
भारत ने अनुदान, वाणिज्यिक खेपों और कोवैक्स पहल के माध्यम से लगभग 100 देशों को 6.6 करोड़ से अधिक टीकों की खुराकों का निर्यात किया है। शाहिद मालदीव के हैं और यह देश गत जनवरी में भारत निर्मित टीके प्राप्त करने वाले पहले देशों में से एक था, कोविशील्ड की 1,00,000 खुराक वहां भेजी गई थीं।
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ब्रिटेन ने शुरू में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोविशील्ड को मान्यता देने से इनकार कर दिया था। हालांकि, इस फैसले पर भारत की कड़ी आलोचना के बाद, उसने 22 सितंबर को अपने नए दिशानिर्देशों में संशोधन किया और टीक को शामिल किया।