अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड पर 30 साल तक रिसर्च की गई है। इस रिसर्च में चिंताजनक नतीजे सामने आए हैं। रिसर्च के अनुसार अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड (यूपीएफ) ज़्यादा लेने से समय से पूर्व मौत का खतरा 4% बढ़ जाता है। ये ऐसे फूड हैं, जिनमें वसा ज़्यादा होती है, जबकि फाइबर और अन्य पोषक तत्त्वों की कमी होती है। इनमें कृत्रिम मिठास, रंग और प्रिज़र्वेटिव्स होते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक हैं। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड में ऐसे तत्त्व होते हैं जो आमतौर पर घरेलू खाने में नहीं होते हैं।
14 हज़ार लोगों के स्वास्थ्य पर की रिसर्चहार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 30 साल तक 14 हज़ार लोगों के स्वास्थ्य पर अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड के असर की रिसर्च की, जिससे ये नतीजे सामने आए हैं।
कैसे-कैसे दुष्परिणाम आए सामने?रिसर्च के अनुसार अल्ट्रा-प्रोसेस्ड मांस का नियमित सेवन करने वालों में समय से पहले मौत की आशंका 1% ज़्यादा पाई गई। इसके अलावा कृत्रिम मिठास वाली कोल्ड ड्रिंक ज़्यादा पीने वालों में समय से पूर्व मौत का खतरा 9% ज्यादा रहा। पिछली रिसर्चों में सामने आ चुका है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड को नियमित आहार में शामिल करने से कैंसर, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, टाइप 2 मधुमेह और समय से पहले मौत के जोखिम बढ़ते हैं।
सबसे ज़्यादा मौतें कैंसर सेपिछले 34 साल की अवधि में शोधकर्ताओं ने इस तरह की 48,193 मौतों पर रिसर्च की, जिसमें 13,557 लोगों की मौत कैंसर से, 11,416 लोगों की मौत हृदय रोगों से, 6,343 लोगों की मौत न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों की वजह से और 3,926 लोगों की मौत श्वसन रोगों से हुईं, जिनमें किसी न किसी रूप में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड जिम्मेदार थे।
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