क्या है ये विक्ट्री प्लान?
जेलेंस्की की यह विजय योजना पूरी तरह से पश्चिमी देशों (Western Countries) के समक्ष समर्पण की तरह दिखती है। इसके मुख्य बिंदुओं में नाटो (NATO) में शामिल होने का औपचारिक निमंत्रण, रूस के अंदर लंबी दूरी तक हमला करने को लेकर सहयोगी देशों के प्रतिबंधों को हटाना और रूस के कुर्स्क क्षेत्र में घुसपैठ जारी रखना शामिल है। वहीं इसमें यह भी कहा गया है कि अमरीका और यूरोपीय यूनियन न केवल यूक्रेन के मिलकर इसके प्राकृतिक संसाधनों की संयुक्त रूप से रक्षा करेंगे और बल्कि इनका संयुक्त इस्तेमाल भी आर्थिक संपन्नता हासिल करने के लिए कर सकेंगे। जेलेंस्की ने कहा कि शांति की इस योजना को उन पश्चिमी सहयोगियों के साथ पहले ही साझा किया जा चुका है, जो यूक्रेन को हथियार आपूर्ति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आ रहे हैं। अपने प्लान को पेश करते हुए जेलेंस्की ने संसद को बताया कि यह प्लान युद्ध को खत्म कर सकता है। अब इस प्लान पर चर्चा करने के लिए जेलेंस्की को गुरुवार को यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने ब्रसेल्स बुलाया है, जहां वह अपने यूरोपीय सहयोगियों के साथ इस पर मंथन करेंगे।
चीन, ईरान और उत्तर कोरिया को बताया ‘अपराधियों का गठबंधन’
संसद को संबोधित करते हुए, जेलेंस्की ने रूस का समर्थन करने के लिए चीन, ईरान और उत्तर कोरिया की भी आलोचना की और उन्हें ‘अपराधियों का गठबंधन’ बताया।
जेलेंस्की की पांच सूत्रीय विजय योजना
1. यूक्रेन को नाटो में शामिल होने का औपचारिक निमंत्रण हासिल होना। 2. यूक्रेनी सेना को रूसी सेना के मुकाबले ताकतवर बनाना, साथ ही सहयोगी देशों से प्राप्त हथियारों से रूस के अंदरूनी हिस्सों में हमला करने की अनुमति लेना और यूक्रेन में ‘बफर जोन’ के निर्माण से बचने के लिए रूसी क्षेत्र पर यूक्रेन के सैन्य अभियान जारी रखना। 3. यूक्रेन की धरती पर यूरोपीय यूनियन और अमरीका के गैर-परमाणु सैन्य बलों को तैनात करना, जिससे रूस की आक्रामकता का सामना किया जा सका। 4. यूक्रेन के प्राकृतिक संसाधनों को अमरीका और यूरोपियन यूनियन से संयुक्त संरक्षण प्राप्त करना और इनका संयुक्त इस्तेमाल करना।
5. केवल युद्ध के बाद के लिए: पूरे यूरोप में तैनात कुछ अमरीकी सैनिकों की जगह यूक्रेनी सैनिकों को तैनात करना
योजना पर तीखी प्रतिक्रिया
यूक्रेनी सोशल मीडिया और राजनेताओं की शुरुआती प्रतिक्रिया हैरानी भरी सामने आई है। उनके अनुसार, यह विजय योजना मूलतः यूक्रेन द्वारा उठाए जा सकने वाले कदमों के बजाय पश्चिमी सहयोगियों को निर्देशित प्रस्तावों, अनुरोधों और मांगों से ज्यादा कुछ नहीं है। लेकिन, इस योजना में यह नहीं बताया गया है कि अगर पश्चिमी देशों ने ‘ना’ कह दिया तो क्या विकल्प है?