रेचप के इस बयान पर भारत ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साइप्रस के संबंध में ट्वीट कर रेचप को करारा जवाब दिया। साइप्रस के विदेश मंत्री निकोस क्रिस्टो डौलाइड्स से मुलाकात के बाद जयशंकर ने ट्वीट किया है कि सभी को साइप्रस के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों का पालन करना चाहिए। बता दें कि तुर्की ने साइप्रस के बड़े हिस्से पर कई दशक से अवैध कब्जा किया हुआ है। इस मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव भी पारित किया हुआ है, मगर तुर्की इसे मानता नहीं है।
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बता दें कि 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाकिस्तान ने मुस्लिम देशों से इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई थी। तब मलेशिया और तुर्की सहयोग के लिए आगे आए और भारत के इस कदम की आलोचना करते हुए खिलाफ में बयान दिया। तुर्की के राष्ट्रपति रेचप एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर की स्थिति को एक ज्वलंत मुद्दा बताया था और कश्मीर के लिए विशेष दर्जे को खत्म करने की आलोचना की थी।
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रेचप ने वर्ष 2019 में कहा था कि स्वीकृत प्रस्तावों के बाद भी कश्मीर अभी भी घिरा हुआ है और 80 लाख लोग कश्मीर में फंसे हुए हैं। तब प्रधानमंत्री मोदी ने तुर्की की अपनी यात्रा रद्द कर दी थी। वहीं, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साइप्रस के अपने समकक्ष निकोस क्रिस्टो डौलाइड्स के साथ द्विपक्षीय बैठक की। इस दौरान उन्होंने साइप्रस के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों का पालन करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।