एयरबस : भारत में सहयोग से काम
एयरबस से भारतीय कंपनियों को अपनी तकनीकी विशेषज्ञता और ज्ञान मिलेगा, जिससे वे विमान निर्माण और रखरखाव के क्षेत्र में अधिक सक्षम हो सकें। एयरबस के लिए भारतीय विमानन क्षेत्र में निवेश करने के लिए स्थानीय भागीदारों के साथ मिलकर काम करने की योजना बनाई है, जिससे निर्माण प्रक्रिया को स्थानीय स्तर पर विकसित किया जा सके। इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि एयरबस भारत में अपने उत्पादों का निर्माण करने के लिए स्थानीय सहयोग से काम करेगी।
क्या है 40 C-295 एयरबस ?
भारत में 40 40 C-295 एयरबस विमान बनेंगे इससे मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा। इस C-295 कार्यक्रम के तहत, कुल 56 एयरक्राफ्ट तैयार की योजना है। इसमें एयरबस स्पेन में अपनी फाइनल असेंबली लाइन (FAL) से पहले 16 C-295 विमान भारत को सौंपेगा। इसके अलावा टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) की ओर से वडोदरा में 40 एयरक्राफ्ट का निर्माण और असेंबलिंग की जाएगी। स्पेन का भारत की ओर झुकाव का कारण
भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और विशाल बाजार स्पेनिश कंपनियों के लिए निवेश और व्यापार के अवसर प्रदान करते हैं। स्पेन भारत में अपने उत्पादों और सेवाओं की बिक्री को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। स्पेन ने भारत में अपनी तकनीकी विशेषज्ञता और नवाचारों को साझा करने की योजना बनाई है। इससे स्पेन को भारत में अपनी तकनीकी उपस्थिति बढ़ाने का अवसर मिलता है। स्पेन भारत के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में रुचि रखता है, जिससे उसकी सांस्कृतिक छवि को और मजबूत किया जा सके। भारत के साथ मजबूत संबंध स्थापित करने से स्पेन को एशिया में अपनी राजनीतिक स्थिति को बढ़ाने में मदद मिलती है। यह उसे वैश्विक मंच पर अधिक प्रभावी बनाता है। जैसे कि रक्षा, विमानन, और ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग, स्पेन को भारतीय बाजार में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करने का अवसर देता है। वहीं भारत के विदेश मंत्री
एस जयशंकर ने कई देशों को भारत में निवेश करने के लिए प्रेरित किया है, यह भी एक कारण है।
दोनों देशों के रिश्ते मजबूत करने का मौका
यह 60वीं वर्षगांठ का अवसर दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत देता है। प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी और स्पेन के राष्ट्रपति पेड्रो सांचेज का बड़ौदा में रोड शो एक महत्वपूर्ण घटना थी, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। इस रोड शो में भारी भीड़ उमड़ी और दोनों नेताओं ने जनता का अभिवादन किया। इस अवसर पर, मोदी ने भारत और स्पेन के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक संबंधों को बढ़ावा देने पर जोर दिया। सांचेज ने भी भारत के विकास में अपनी रुचि व्यक्त की और सहयोग बढ़ाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी की संभावनाओं पर चर्चा की। इस तरह के आयोजन न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करते हैं, बल्कि दोनों देशों की जनता के बीच मित्रता और समझ को भी बढ़ाते हैं।
स्पेन और भारत के रिश्ते
स्पेन और भारत के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना 1956 में हुई थी। हालांकि, पिछले कई वर्षों में इन संबंधों की विकासशीलता सीमित रही है। 1988 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दौरे के दौरान व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की इच्छा जताई गई थी, लेकिन इसके बावजूद ठोस परिणाम नहीं मिले। भारत की वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक महत्ता में वृद्धि हुई है, जिससे अन्य देशों का ध्यान आकर्षित हो रहा है। स्पेन भी इस अवसर को भुनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसे अपने संबंधों को बढ़ाने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि अपने राष्ट्रीय छवि की कमी और जागरूकता की कमी है।
राजनीतिक संबंधों में मजबूती
स्पेन सरकार ने 2000 में एशिया-प्रशांत ढांचा योजनाओं की घोषणा की और कई संस्थाएँ, जैसे कि कासा एशिया और कासा डे ला इंडिया, स्थापित की हैं। इन पहलों का उद्देश्य भारत के साथ व्यापारिक और राजनीतिक संबंधों को मजबूती प्रदान करना है। सन 2016 में द्विपक्षीय संबंधों की 60वीं वर्षगांठ मनाने का प्रस्ताव है, जो स्पेन और भारत के बीच नए युग की शुरुआत का प्रतीक हो सकता है। इस अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित करने की योजना है, जिसमें संभावित रूप से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्पेन दौरा भी शामिल है। बहरहाल स्पेन में बुनियादी ढांचे और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में मजबूत कंपनियां हैं, जो भारत के विकासात्मक लक्ष्यों में योगदान कर सकती हैं। दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र हो सकता है। कुल मिला कर, यह कार्यपत्र स्पेन के लिए एक स्पष्ट मार्गदर्शन प्रस्तुत करता है कि कैसे वह भारत के साथ अपने संबंधों को विकसित कर सकता है और इस दिशा में प्रभावी कदम उठा सकता है।