इतना बड़ा नुकसान क्यों ?
पीएम इशिबा की एलडीपी पार्टी की सीटें पिछले चुनाव की 259 सीटों से घटकर इस बार 191 रह गईं, गठबंधन सहयोगी कोमिटो की सीटें भी 32 से घटकर 24 पर आ गईं। घोटालों की झड़ी के चलते पिछले कुछ समय से एलडीपी अपनी लोकप्रियता खो रही है। पिछले साल राजनीतिक चंदे के घोटाले के सामने आने के बाद अक्टूबर में फुमियो किशिदा को पार्टी नेता व पीएम का पद छोड़ना पड़ा, इसके बाद इशिबा पीएम बने थे।
इशिबा का भविष्य क्या है?
अटकलें हैं कि इशिबा को इस पराजय की जिम्मेदारी लेने के लिए इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा सकता है, ऐसे में वह जापान के युद्धोत्तर इतिहास में सबसे कम समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले व्यक्ति बन जाएंगे। इशिबा ने ऐसा करने से इनकार कर दिचा है। अभी भी एलडीपी संसद में शीर्ष पार्टी है और सरकार में बदलाव की उम्मीद नहीं है। हालांकि, इशिबा के लिए अपनी पार्टी की नीतियों को संसद में पारित कराना मुश्किल हो जाएगा।
नया साझेदार बनाना होगा ?
इशिबा को सत्ता में आसानी के लिए गठबंधन में तीसरे दल को शामिल करना पड़ सकता है। चुनाव प्रचार में विपक्षी सीडीपी ने एलडीपी के साथ किसी तरह के गठबंधन को ‘नामुमकिन’ बताया था। जापान इनोवेशन पार्टी व मध्यमार्गी डीपीपी भी गठबंधन में शामिल होने से इनकार कर चुकी है। हालांकि, डीपीपी से एलडीपी को कुछ उम्मीद है।
क्या विपक्ष सरकार बना सकेगा ?
विपक्षी पार्टी सीडीपी की सीटें 96 से बढ़कर 148 हो गईं लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि बिखरे हुई विपक्ष के लिए सरकार बनाना मुश्किल है। नीतिगत मतभेद और अतीत की अनबन विपक्षी दलों को विभाजित कर रही है।