अमरीका के ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद अमरीका ने आतंकियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। खास तौर पर अफगानिस्तान की ओर से अमरीका ने तुरंत अपने कदम बढ़ा दिए है। अमरीका के इस कदम से मुल्ला उमर डर गया।
तब एक आंख वाला मुल्ला उमर जिस कार से भागा, ये वही कार है। बताया जाता है कि ये उमर की पसंदीदा कार थी। वो इस कार से सबसे पहले कंधार से रवाना हुआ।
जाबुल से तालीबान के लड़ाकों ने खोज निकाली कार
मुल्ला की इस कार को निकालने में तालीबानियों को 21 वर्ष का लंबा समय लगा। लेकिन आखिरकार अपने आका की इस कार को इन लड़ाकों ने निकाल ही लिया।
इस कार की तस्वारें सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही हैं। अब अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता है, जिसके बाद तालिबानियों ने अपने संस्थापक की कार को खोजने में कामयाबी हासिल की है।
प्लास्टिक में लिपटी हुई थी कार
कार जिस हालत में मिली उसको देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये मुल्ला उमर को कितनी पसंद थी। इस कार को जमीन में दफनाते वक्त भी उमर ने इसे प्लास्टिक से कवर किया था। जब जाबुल इलाके में इस कार को खोदकर निकाला गया तो इस पर प्लास्टिक लिपटा हुआ था।
यही नहीं बताया जा रहा है कि, 21 साल बाद भी ये कार सही सलामत है। बस उसका आगे का शीशा टूटा है। कार को म्यूजियम में रखा जाएगा
तालीबानियों के आका की कार का मिलना, मुल्ला उमर के समर्थकों के लिए बड़ी उपलब्धि है। यही वजह है कि वो उमर की इस निशानी को सहेज कर रखेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस कार को अफगानिस्तान के राष्ट्रीय म्यूजियम में जल्द ही प्रदर्शनी के लिए रखा जाएगा।
दक्षिणी अफगानिस्तान के कंधार में 1960 में मुल्ला उमर का जन्म हुआ था। मुल्ला उमर ने 1980 में सोवियत संघ की सेना के खिलाफ युद्ध लड़ा था।
इस जंग में उमर की एक आंख चली गई। इसके बाद से ही वो एक आंख वाला मुल्ला उमर के नाम से मशहूर हुआ। जंग के बाद मुल्ला उमर ने 1994 में तालिबान की स्थापना की और 1996 में उसने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था।