साई इंग-वेन ने फाॅरेन अफेयर्स में लिखे एक लेख में यह चेतावनी दी है। बता दें कि हाल ही में चीन के 38 लड़ाकू विमान ताइवान के हवाई क्षेत्र में अतिक्रमण करते हुए घुसे थे। इससे पहले, ताइवान के प्रधानमंत्री सु सेंग-चांग ने कहा था कि चीन की यह आक्रामकता क्षेत्रीय शांति के लिए ख़तरा है और ताइवान को सतर्क रहने की जरूरत है।
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दरअसल, चीन की सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी यानी पीएलए ने अक्टूबर महीने के पहले चार दिनों में 150 के क़रीब प्लेन ताइवान के हवाई क्षेत्र में भेजे थे। चीनी मीडिया में इसे शक्ति के प्रदर्शन के तौर पर देखा गया है। हालांकि, दुनियाभर की कई सरकारों ने इसे भय दिखाने और चीन की आक्रामकता के तौर पर लिया है।
साई इंग-वेन के अनुसार, हम शांति चाहते हैं लेकिन हमारे लोकतंत्र और जीवन शैली को ख़तरा पहुँचा तो ताइवान आत्मरक्षा के लिए जो भी ज़रूरी समझेगा, करने के लिए तैयार है। यही नहीं, ताइवान ने दुनियाभर के देशों से आग्रह किया है कि चीन के व्यापक ख़तरे को समझना होगा। उन्होंने कहा, दुनिया को समझने की ज़रूरत है कि ताइवान अगर चीन के हाथ में चला गया तो क्षेत्रीय शांति के लिए यह विनाशकारी होगा। यह लोकतांत्रिक साझेदारी के लिए भी विध्वंसकारी साबित होगा।
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वहीं, ताइवान के रक्षा मंत्री चिउ कुओ-चेंग ने कहा है कि पिछले 40 सालों में चीन और ताइवान का सैन्य संबंध सबसे बुरे दौर से गुज़र रहा है. ताइवान के रक्षा मंत्री ने कहा है कि चीन 2025 तक ताइवान पर हमला कर सकता है।