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तख्तापलट के बाद भारत के पड़ोसी देश में चुनाव, जानिए अब क्या हैं हालात 

Sri Lanka: 2022 में श्रीलंका में हुए तख्तापलट के बाद ये पहला चुनाव होने को है। इस चुनाव पूरी दुनिया की नजरें रहने वाली हैं। इस चुनाव में 1.7 करोड़ मतदाता अपना राष्ट्रपति चुनेंगे।

नई दिल्लीSep 19, 2024 / 04:40 pm

Jyoti Sharma

Sri Lanka General Election on 21 September after 2022 coup

Sri Lanka General Election on 21 September after 2022 coup

Sri Lanka: श्रीलंका में शनिवार को राजनीतिक परिदृश्य बदलने वाला है। वर्ष 2022 के जन विद्रोह में तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को पद से हटाने के बाद श्रीलंका के 1.7 करोड़ मतदाता देश के पहले राष्ट्रपति चुनाव में 39 उम्मीदवारों में से किसी एक को चुनेंगे। इस वर्ष के चुनाव में दो प्रमुख गठबंधनों, एसजेबी (समागी जन बालवेगया) और एनपीपी (नेशनल पीपुल्स पावर) के अलावा विभिन्न छोटे दलों और स्वतंत्र उम्मीदवारों का प्रभुत्व है। सर्वेक्षणों के मुताबिक मतदाता अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून और सुरक्षा जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दे रहे हैं। देश में तमिल जनसंख्या का 11% और मुस्लिम 9% हैं।

इनमें है मुकाबला

यूएनपी (यूनाइटेड नेशनल पार्टी) के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। विक्रमसिंघे को पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे की पार्टी SLPP (श्रीलंका पोडुजना पेरामुना) के कई बागी विधायकों का समर्थन प्राप्त है। SJB गठबंधन से विपक्षी नेता सजीथ प्रेमदासा, जेवीपी (जनता विमुक्ति पेरामुना) के वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके और महिंदा के बेटे, नमल राजपक्षे, एसएलपीपी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार जो भी जीतेगा, वह भारत के साथ बातचीत करेगा। साजिथ भारत समर्थक हैं लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक दिसानायके भी भारत के समर्थक हैं, जिन्हें पहले भारत विरोधी माना जाता था।

तमिलों की स्थिति उठाएगा भारत

श्रीलंका में हाल के वर्षों में भारत विरोधी भावनाएं बढ़ी हैं लेकिन श्रीलंका के विकास और स्थायित्व के लिए भारत महत्वपूर्ण है। वर्ष 1987 में भारत-श्रीलंका समझौते के हिस्से के रूप में हस्ताक्षरित 13वें संशोधन को लागू करने में श्रीलंकाई सरकारें लगातार विफल रही हैं, जो उत्तर और पूर्व में दयनील होती तमिल आबादी के लिए स्थानीय सरकारों को शक्तियों के हस्तांतरण का प्रावधान करता है। नई सरकार के साथ, भारत प्रांतीय परिषदों की बहाली के लिए जोर देगा जो श्रीलंकाई तमिलों को कुछ हद तक स्वायत्तता प्रदान करेगा।

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