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प्रवासी भारतीय साहित्यकार डॉ. शिप्रा शिल्पी सक्सेना को जर्मनी में भारतीय कौंसुल जनरल ने किया सम्मानित

NRI News in Hindi: जर्मनी में मशहूर प्रवासी भारतीय साहित्यकार डॉ. शिप्रा शिल्पी सक्सेना को गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार और प्रवासी भारतीयों को एकजुट करने में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

भारतJan 27, 2025 / 04:15 pm

M I Zahir

NRI Award in Germany

NRI Award in Germany

NRI News in Hindi: भारत के प्रधान कौंसुलावास, फ्रैंकफर्ट की ओर से कोलोन जर्मनी में रह रहीं प्रवासी भारतीय प्रमुख साहित्यकार, संपादक और मीडिया प्रोफेशनल डॉ. शिप्रा शिल्पी सक्सेना ( Dr. Shipra Shilpi Saxena) को गणतंत्र दिवस (Republic Day ) के अवसर पर सम्मानित किया गया। वे वर्तमान में जर्मनी में हिन्दी साहित्य, संस्कृति (Hindi language promotion) और मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इस विशेष अवसर पर आयोजित समारोह में भारतीय कौंसुल जनरल बी. एस. मुबारक ने डॉ. शिप्रा को यह सम्मान प्रदान किया। समारोह में बहुत सारे भारतवंशी ( Indian diaspora) मौजूद रहे और झंडारोहण के बाद मुबारक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश पढ़ते हुए प्रवासी भारतीयों की ओर से वैश्विक स्तर पर किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीयों का कार्य केवल सराहनीय ही नहीं, बल्कि अनुकरणीय भी है।

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हिन्दी संस्कारों और संस्कृतियों की संवाहक

इस अवसर पर डॉ. शिप्रा ने कहा, “हिन्दी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि यह संस्कारों और संस्कृतियों की संवाहक है। जब कोई भारतीय अन्य देशों में जाता है, तो वह भारत की संस्कृति, परंपराओं और जीवनशैली को साथ लेकर जाता है और ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि वह भारत का प्रतिनिधित्व करता है। हिन्दी भाषा ने वसुधैव कुटुंबकम् की भावना को वैश्विक स्तर पर साकार किया है। दुनिया भर में जहां भी भारतीय हैं, हिन्दी भाषा उन्हें जोड़ने का एक मजबूत माध्यम बन चुकी है।”डॉ. शिप्रा ने इस मौके पर अपनी संपादित पुस्तकों “जर्मनी की चयनित रचनाएँ”, “प्रज्ञान विश्वम” और “अनन्य” की प्रतियां बी. एस. मुबारक को भेंट कीं। डॉ. शिप्रा शिल्पी सक्सेना विगत एक दशक से जर्मनी के कोलोन शहर में रह कर हिन्दी भाषा, साहित्य और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में सक्रिय हैं। इसके अलावा वे लखनऊ दूरदर्शन, आकाशवाणी में कार्य कर चुकी हैं और फैज़ाबाद विश्वविद्यालय भारत में हिन्दी विभाग की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।

इंडो-जर्मन साहित्य, संस्कृति और भाषा के प्रचार-प्रसार में जुटीं

डॉ. शिप्रा वैश्विक हिन्दीशाला संस्थान (VHSS Germany), अव्यवसायिक चैनल श्रीजनी ग्लोबल यूरोप और ग्लोबल लैंग्वेज, आर्ट्स एंड कल्चर (GLAC) जैसी संस्थाओं के माध्यम से इंडो-जर्मन साहित्य, संस्कृति और भाषा के प्रचार-प्रसार में लगातार जुटी हुई हैं। उनकी संपादित पुस्तक “जर्मनी की चयनित रचनाएं” का 2024 में मॉरीशस में लोकार्पण हुआ था, जहां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने सराहा था। इसके अलावा डॉ. शिप्रा शिल्पी सक्सेना की संपादित पत्रिकाएं “अनन्य – जर्मनी” और “प्रज्ञान – विश्वम” भारतीय कौंसुलावास, न्यूयॉर्क और यूरोप में महत्वपूर्ण साहित्यिक मीडिया के रूप में प्रसिद्ध हैं। वे ‘विश्वरंग’ जर्मनी की हैड कॉऑर्डिनेटर भी हैं और फ्रैंकफर्ट बुक फेयर में हिन्दी के प्रचार-प्रसार पर वक्तव्य देने के लिए उन्हें भारतीय शिक्षा मंत्रालय सम्मानित कर चुका है।

कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराहना मिली

उनके कार्यों को कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराहना मिली है, और उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं, जैसे कि प्रवासी भारतीय लोकार्पण सेवी सम्मान, इंडो-जर्मन सांस्कृतिक राजदूत सम्मान और उत्तर प्रदेश राज्यपाल से ‘युवा प्रतिभा सम्मान’। उन्हें 2024 में उनकी हिन्दी कहानियों के जर्मन अनुवाद के लिए मार्टिन लूथर फ़र दास बेस्ट गेस्चिचटेनश्रेइबेन पुरस्कार (Martin Loother für das beste Geschichtenschreiben Award) भी प्रदान किया गया था। डॉ. शिप्रा इंटरनेशनल फ्राइडेन्सचूले, कोलन (International Friedensschule, Köln) में मीडिया इंस्ट्रक्टर के रूप में कार्यरत हैं और उनकी उपलब्धियां प्रवासी भारतीय समुदाय के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

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