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वैज्ञानिकों की बड़ी खोज, ढूंढ निकाला आकाशगंगा के गुरुत्वाकर्षण को चकमा देने वाला तारा

वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक बड़ी खोज की है और उनकी यह खोज स्पेस से संबंधित है।

नई दिल्लीJun 18, 2024 / 12:14 pm

Tanay Mishra

Speeding star

Speeding star

दुनियाभर में वैज्ञानिक अलग-अलग चीज़ों की खोज में लगे रहते हैं। हाल ही में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक बड़ी खोज की है। दरअसल कुछ वैज्ञानिकों ने एक काफी और प्राचीन तारे की खोज की है, जो हमारी मिल्कीवे आकाशगंगा के सबसे पुराने तारों में से एक है। इस तारे का नाम CWISE J124909+362116.0 (J1249+36) है और इस तारे के बारे में खास बात यह है कि इस तारे की गति बहुत ही तेज़ है।

आकाशगंगा के गुरुत्वाकर्षण को चकमा देने वाला तारा

CWISE J124909+362116.0 (J1249+36) नाम के जिस तारे को ढूंढा है, उसकी गति 600 किलोमीटर प्रति सेकेंड है। ऐसे में यह तारा आकाशगंगा के गुरुत्वाकर्षण को चकमा दे सकता है और जल्द ही आकशगंगा से निकलकर अंतरिक्ष में दूर जा सकता है।

कैसे मिला यह तारा?

दरअसल इस तरह के तारे एल. सबड्वार्फ तारों की श्रेणी में आते हैं और इस तरह के तारे बहुत कम रोशनी वाले और कम तापमान वाले तारे होते हैं। आकाशगंगा में अभी तक इस तरह के कुछ ही तारे पाए गए हैं जिनकी गति तीनि तेज़ है और उनमें हाल ही में मिला तारा भी एक है। अमेरिकी खगोलीय सोसायटी की 244वीं बैठक में इस तारे की खोज की घोषणा की गई है।

तारे की तेज़ गति के तीन संभावित कारण

वैज्ञानिक इस तारे की तेज़ गति का कारण ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं पर उन्होंने फिलहाल के लिए इसके तीन संभावित कारण बताए हैं। इसमें पहला कारण इस तारे का किसी ऐसे डबल स्टार सिस्टम से टूटना माना जा रहा है, जिसमें एक सफेद बौना तारा शामिल था। सफेद बौने तारे अपने आप से ऊर्जा नहीं बना पाते और अपने साथी तारे से पदार्थ खींचकर ऊर्जा बनाते है। इस स्थिति में कभी कभी विस्फोट हो जाता है जिसकी वजह से साथी तारा तेज़ गति से दूर अंतरिक्ष में चला जाता है।

इस तारे की तेज़ गति का दूसरा कारण बताया जा रहा है कि कई सारे तारे आपस में टकरा कर अस्थिर हो जाते है और इनका टकराव आकाशगंगा के दूसरी ओर स्थित किसी पिंड से हो जाता है। आकाशगंगा के अंदर गोलाकार तारागुच्छ नाम की जगहों पर ऐसे तारों का घना जमघट होता है, जिससे वहाँ टकराव ज़्यादा होने की संभावना रहती है और इस वजह से तारे की गति तेज़ हो जाती है।

तीसरा कारण यह माना जा रहा है कि CWISE J124909+362116.0 (J1249+36) हमारी आकाशगंगा का हिस्सा ही नहीं है, बल्कि किसी आसपास की छोटी आकाशगंगा से आया हुआ तारा है।

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