माँ जानकी की नई मूर्ति की 19 मई को श्रीलंका में सीता अम्मा मंदिर में होगी प्राण-प्रतिष्ठा, भारत से जाएगा सरयू का जल
कुछ समय पहले ही अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा हुई थी। अब श्रीलंका में सीता अम्मा मंदिर में माँ जानकी की नई मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होगी।
Seetha Amman Temple in Sri Lanka
22 जनवरी को अयोध्या में “राम मंदिर” में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा हुई थी। साथ ही भक्तों के दर्शन का सिलसिला भी इसी दिन से शुरू हो गया था। अब श्रीलंका में पहाड़ियों पर नुवारा एलिया शहर से 5 किलोमीटर दूर सीता एलिया गांव में माँ सीता का भव्य “सीता अम्मा मंदिर” बन रहा है। इस मंदिर में जल्द ही माँ जानकी यानी कि सीता माता की नई मूर्त्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। सीता माता की नई मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए 19 मई का दिन तय किया गया है। इसके बाद से ही इस मंदिर के द्वार भक्तों के लिए खुल जाएंगे। बाकि बचा निर्माण कार्य जारी रहेगा। हालांकि मुख्य निर्माण कार्य पहले ही पूरा हो चुका है।
जोर-शोर से चल रही हैं तैयारियाँ
सीता अम्मा मंदिर में सीता माता की नई मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही हैं। इसके लिए सभी ज़रूरी काम किए जा रहे हैं और सीता अम्मा मंदिर प्रशासन भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।
भारत से जाएगा सरयू का जल
सीता अम्मा मंदिर में माँ जानकी की नई मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के लिए भारत से जल भेजा जाएगा। यह जल अयोध्या की सरयू नदी का होगा। सीता अम्मा मंदिर प्रशासन ने जल के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से औपचारिक अनुरोध किया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने मंज़ूरी देते हुए सरयू का 21 लीटर जल उपलब्ध कराने की ज़िम्मेदारी अयोध्या तीर्थ विकास परिषद को सौंपी है।
कार्यक्रम में श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री रहेंगे मौजूद
19 मई को सीता अम्मा मंदिर में माँ जानकी की नई मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने मौजूद रहेंगे। भारत से आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर भी जाएंगे।
किस जगह है मंदिर?
सीता अम्मा मंदिर श्रीलंका में नुवारा एलिया की पहाडिय़ों पर है। माना जाता है कि रामायण में जिस अशोक वाटिका का ज़िक्र है, वह यहीं है। रावण ने अशोक वाटिका में सीता माता को कैद में रखा था। भगवान हनुमान सीता माता की खोज करते हुए सबसे पहले यहीं पहुंचे थे। माना जाता है कि सीता अम्मा मंदिर के पीछे चट्टानों पर भगवान हनुमान के पैरों के निशान हैं। सीता एलिया गांव से होकर बहने वाली सीता नदी के एक किनारे की मिट्टी पीली, जबकि दूसरे किनारे की काली है। इसे भगवान हनुमान की यात्रा के दौरान हुई घटनाओं से जोड़ा जाता है।
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