अमेरिका के दौरे पर पहुंचे जयशंकर ने सोमवार को एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत रूस से जितना तेल एक महीने में खरीदता है, उतना यूरोपीय देश एक दिन के दोपहर तक में खरीद लेते हैं। इससे पहले बाइडन ने कहा था कि रूस से तेल खरीद को बढ़ाना भारत के हित में नहीं है। बाइडन भारत को रूस से सस्ता तेल नहीं खरीदने पर ज्ञान दे रहे हैं लेकिन अपने यूरोपीय मित्र देशों से ऊर्जा के आयात पर चुप्पी साधे हुए हैं।
2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक के समापन के बाद जयशंकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ अपने अमेरिकी समकक्षों विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेन्स को संबोधित कर रहे थे।
एस जयशंकर ने कहा, “मैंने देखा है कि आप तेल खरीद का उल्लेख कर रहे हैं. यदि आप रूस से ऊर्जा खरीद देख रहे हैं, तो मैं सुझाव दूंगा कि आपका ध्यान यूरोप पर भी केंद्रित होना चाहिए। हम कुछ ऊर्जा खरीदते हैं, जो हमारी ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी है लेकिन मुझे आंकड़ों पर संदेह है, शायद एक महीने में हमारी कुल खरीद यूरोप की एक दोपहर में हुई खरीद की तुलना में कम होगी।”
बता दें, भारत और अमेरिका के बीच 2+2 की यह चौथी वार्षिक बैठक थी। इसमें दोनों पक्षों ने यूक्रेन सहित मौजूदा घटनाक्रमों पर चर्चा की और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच इस क्षेत्र में अपने सहयोग की समीक्षा की।
आपको बता दें, यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर रूसी संस्थाओं पर पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद, भारत ने कम से कम 13 मिलियन बैरल रूसी कच्चे तेल को रियायती दर पर खरीदा। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक है वो अपने 80 फीसदी तेल का आयात करता है लेकिन उनमें से महज 2 से 3 फीसदी तेल ही रूस से खरीदता है। तो वहीं 10 फीसदी तेल अमेरिका से आयत किया जाता है।
इस मुद्दे पर व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि अमेरिका ऊर्जा संसाधनों में और विवधता लाने में भारत की मदद करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि भारत का रूस से तेल और गैस खरीदना अमेरिका द्वारा मॉस्को पर लगाए गए प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं है, लेकिन उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि इन देशों लको यह भी समझना चाहिए कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच वे कहां खड़ा होना चाहते हैं।
बता दें, रूस पर अमेरिका और पश्चिमी देशों ने बैन लगाया है। उससे तेल नहीं खरीदने की अपील की जा रही है। रूस अपने दोस्त भारत को डिस्काउंट पर तेल ऑफर कर रहा है। पिछले दिनों भारत ने साफ किया कि वैध तरीके से ऊर्जा खरीदने का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए और जो देश तेल के मामले में आत्मनिर्भर हैं या जो स्वयं रुस से तेल आयात करते हैं वे प्रतिबंधात्मक व्यापार की वकालत नहीं कर सकते हैं।