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अब विदेश में रह रहे भारत के जिन लोगों को नागरिकता लेने में दिक्कत पेश आ रही है, उनकी हो जाएगी वतन वापसी, MEA जयशंकर ने दी यह ख़ुशख़बरी 

Indian Immigrants: अमेरिका में आप्रवासी निर्वासन विवाद पर भारत का विदेश मंत्रालय उनके साथ खड़ा हो गया है। भारत सरकार का रुख है कि यदि उन्हें वीजा प्राप्त करने में 400 से अधिक दिन लगते हैं तो मत सोचिए।

नई दिल्लीJan 23, 2025 / 06:20 pm

M I Zahir

S Jaishankar

Indian Immigrants: अमेरिका में आप्रवासी निर्वासन ( US Policies) को लेकर संकट में आए इंडो अमेरिकन्स ( Indian Diaspora) के लिए खुशखबरी है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उनसे साफ कहा है कि ऐसे संकट में हम अपने नागरिकों को वैध मानते हुए वापस लेने के लिए तैयार हैं। जयशंकर ने कहा, “मैं समझता हूं कि इस वक्त एक बहस चल रही है और इसके परिणाम स्वरूप संवेदनशीलता पैदा हो रही है, लेकिन हम लगातार अमेरिकी सरकार के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली, अमेरिका सहित विदेशों में ‘अवैध रूप से’ रह रहे भारतीय नागरिकों ( Indian Immigrants) की ‘वैध वापसी’ के लिए तैयार है। अब विदेश में रह रहे भारत के जिन लोगों को नागरिकता ( Citizenship) लेने में आ रही दिक्कत पेश आ रही है, उनकी जल्द वतन वापसी हो जाएगी।

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर संबोधित करते हुए।

भारत सरकार वतन वापसी का आसान रास्ता दे रही

एस. जयशंकर ने जो महत्वपूर्ण बयान दिया है, उसमें उन्होंने विदेशों में भारत के नागरिकों को नागरिकता प्राप्त करने में आ रही समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर भारत के नागरिक विदेशों में नागरिकता की समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो उनके लिए भारत सरकार वतन वापसी का एक आसान रास्ता उपलब्ध कराएगी। इस बयान का मुख्य उद्देश्य यह था कि भारतीय प्रवासी नागरिकों को नागरिकता की प्रक्रिया में आ रही दिक्कतों के बावजूद, यदि उन्हें अपनी मातृभूमि लौटने की आवश्यकता पड़ी, तो भारत सरकार उनकी मदद करेगी।

भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा

विदेशों में बसे लोग इस बात से खुश हैं कि यह बयान भारतीय विदेश मंत्रालय के दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है कि विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जाएगी और अगर उनके पास वैध कानूनी विकल्प नहीं होते, तो उन्हें उनके घर लौटने के अवसर दिए जाएंगे। यह उन भारतीय नागरिकों के लिए एक बड़ी राहत हो सकती है, जो दूसरे देशों में नागरिकता प्राप्त करने में संघर्ष कर रहे हैं, विशेष रूप से उन देशों में जहां भारतीय समुदाय को कानूनी या प्रशासनिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। असल में जयशंकर के इस बयान को विदेशों में भारतीय समुदाय के लिए एक सकारात्मक संदेश के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि उन्हें किसी भी संकट की स्थिति में भारतीय नागरिकता से वंचित नहीं किया जाएगा और वे अपने देश में लौटने के अधिकार से वंचित नहीं रहेंगे।

डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आते ही अवैध प्रवासियों पर एक्शन

गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आते ही अवैध प्रवासियों पर एक्शन शुरू कर दिया गया है। इससे अमेरिका में रह रहे वैसे प्रवासी डर में हैं और जयशंकर का बयान उनके लिए राहत भरा है। अवैध अमेरिकी आप्रवासी निर्वासन विवाद एक संवेदनशील और जटिल मुद्दा है। यह विवाद अमेरिकी आप्रवासन नीतियों, कानूनों और मानवीय अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करता है। अवैध आप्रवासियों का निर्वासन, विशेष रूप से जिनके पास स्थायी निवास या नागरिकता के अधिकार नहीं होते, अमेरिका में एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा है। अमेरिका में अवैध आप्रवासियों की संख्या बहुत अधिक है, और इनकी निर्वासन नीति को लेकर कई बार कानूनी और मानवाधिकारों पर बहस हुई है।

अमेरिका में आप्रवासी भारतीयों की तादाद

अमेरिका में आप्रवासी भारतीयों की तादाद काफी बड़ी है, और वे देश के सबसे बड़े आप्रवासी समुदायों में से एक माने जाते हैं। 2021 के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 45 लाख ( 4.5 मिलियन ) भारतीय अमेरिकी जनसंख्या का हिस्सा हैं। यह संख्या लगातार बढ़ रही है। भारत से अमेरिका जाने वाले आप्रवासियों की संख्या पिछले कुछ दशकों में तेज़ी से बढ़ी है, विशेषकर 1965 में अमेरिकी आप्रवासन और नागरिकता अधिनियम (Immigration and Nationality Act) के बाद, जो उच्च कौशल वाले पेशेवरों, जैसे इंजीनियरों, डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को अमेरिका में आने का अवसर प्रदान करता था। इसके बाद, H-1B वीजा और अन्य वीजा कार्यक्रमों ने भारतीय पेशेवरों को अमेरिका में रोजगार के अवसर प्रदान किए, जिससे भारतीय आप्रवासियों की तादाद में बढ़ोतरी हुई। आजकल, भारतीय आप्रवासी अमेरिका में विभिन्न व्यवसायों में सक्रिय हैं और समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, भारतीय समुदाय के लोग विभिन्न शैक्षिक संस्थाओं में पढ़ाई भी कर रहे हैं और कई भारतीय अमेरिकी नागरिकता प्राप्त कर चुके हैं।
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