पाक क्यों कर रहा ब्लैकमेलिंग
दरअसल पाकिस्तान ने चीन से अब कहना शुरू कर दिया है कि अगर ग्वादर पोर्ट चाहिए तो परमाणु हमले की जवाबी कार्रवाई की क्षमता देनी होगी। इस पर चीन भड़क गया है। इसे लेकर चीन ने अब ग्वादर पोर्ट पर दोनों देशों के बीच बातचीत को ही बंद कर दिया है। पाकिस्तान मामलों को कवर करने वाली ड्रॉप साइट न्यूज ने इस खबर को प्रकाशित की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तानी सेना की चीन के साथ पोर्ट पर बातचीत रुक गई है और ये ऐसे समय पर रुकी है जब दोनों देशों में इसे लेकर तनाव चल रहा है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बेहद बुरे दौर से गुज़र रही है, लेकिन पाकिस्तानी सेना परमाणु योजना पर अड़ी हुई है।
चीन के लिए क्यों जरूरी ग्वादर बंदरगाह
दरअसल ग्वादर बंदरगाह, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का केंद्र है। ये चीन के लिए हिंद महासागर तक सीधी पहुंच प्रदान करता है। चीन इस ग्वादर पोर्ट को एक नौसैनिक अड्डे के रूप में विकसित करना चाहता है ताकि चीन अपनी समुद्री शक्ति को मजबूत कर सके।
पाकिस्तानी सेना की क्या मांग
दरअसल पाकिस्तान की सेना चीन ने परमाणु हमले की जवाबी कार्रवाई की क्षमता की मांग कर रही है। वो भी तब जब पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इसके लिए ना सिर्फ पाकिस्तान चीन से आर्थिक मदद मांग रहा है बल्कि उन्नत सैन्य तकनीक भी उपलब्ध कराने की मांग कर रहा है।
चीन क्यों हुआ है नाराज
पाकिस्तान की ये ब्लैकमेलिंग वाली हरकत चीन को नागवार गुजरी है। क्योंकि सेकंड स्ट्राइक न्यूक्लियर क्षमता दूसरे देश से साझा करना एक संवेदनशील मुद्दा है क्योंकि ये ना सिर्फ चीन की सैन्य रणनीति के लिए जोखिम भरा है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी छवि को भी प्रभावित कर सकता है।
भारत के लिए भी संभावित खतरा
अगर पाकिस्तान को चीन सेकंड स्ट्राइक क्षमता दे देता है तो ये भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। इससे क्षेत्रीय शक्ति संतुलन बिगड़ सकता है और परमाणु हथियारों की दौड़ तेज हो सकती है। चीन पाकिस्तान की दोस्ती में दरार अब ये मुद्दा चीन और पाकिस्तान की दोस्ती में खटास पैदा कर रहा है। चीन का ग्वादर में किया गया अरबों डॉलर का निवेश खतरे में पड़ सकता है। अगर ऐसा होता है तो पहले से ही अलग-थलग पड़े पाकिस्तान की हालत और ज्यादा ही खराब हो सकती है। इससे दक्षिण एशिया में तनाव और बढ़ सकता है।