अर्ली वार्निंग प्रोजेक्ट एक शोध संगठन है जो बड़े पैमाने पर हिंसा के जोखिम वाले देशों के बारे में रिसर्च करता है। अर्ली वार्निंग प्रोजेक्ट अमेरिका के होलोकॉस्ट मेमोरियल म्यूजियम में साइमन-स्कजोड सेंटर फॉर द प्रिवेंशन ऑफ जेनोसाइड और डार्टमाउथ कॉलेज में डिकी सेंटर फॉर इंटरनेशनल अंडरस्टैंडिंग की एक संयुक्त पहल है। वहीं टॉप 10 की लिस्ट में अन्य एशियाई देशों में यमन दूसरे और म्यांमार तीसरे नंबर पर है। इस टॉप 10 की लिस्ट में चीन का नाम भी आठवे नंबर पर है।
रिपोर्ट में तालिबान की एक स्थानीय शाखा द्वारा हिंसा का हवाला दिया गया है, जो पहले से ही राजनीतिक और आर्थिक संकटों का सामना कर रहे राष्ट्र के लिए मुख्य चुनौतियों में से एक है। बता दें, यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने इस हफ्ते सरकार के साथ संघर्ष विराम को वापस ले लिया। TTP एक पाकिस्तानी शाखा और अफगान तालिबान का करीबी सहयोगी, अमेरिका और यूनाइटेड नेशन द्वारा विदेशी आतंकवादी संगठन के लिस्ट में शामिल किया गया है।
यूनाइटेड नेशन के अनुमान के अनुसार, अफगानिस्तान में इसके 4000 से 6500 लड़ाके हैं। इनका फैलाव कबायली क्षेत्र से बाहर पाकिस्तानी शहरों तक है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने जून में सरकार के साथ हुए संघर्ष विराम को समाप्त कर दिया था और अपने लड़ाकों को देश भर में हमले करने का आदेश दिया था। प्रतिबंधित संगठन ने एक बयान में कहा था, “चूंकि विभिन्न इलाकों में मुजाहिदीन के खिलाफ सैन्य अभियान जारी है…इसलिए आपके लिए यह अनिवार्य है कि आप पूरे देश में जहां कहीं भी हमले कर सकते हैं, करें।”
बता दें, पिछले महीने खैबर पख्तूनख्वा के लक्की मरवत जिले में सबसे बड़े हमले के साथ इस्लामिक समूह का हिंसक अभियान हाल के महीनों में गति पकड़ रहा था। उनके इन हमलों में अब तक कम से कम 6 पुलिसकर्मी मारे गए थे। यहीं नहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक देश बता चुके हैं। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान के पास बिना किसी निगरानी के परमाणु हथियार हैं। मौजूदा वक्त में चीन के पास जहां 320 परमाणु हथियार हैं तो वहीं पाकिस्तान के पास 160 परमाणु हथियार हैं।