अदालत ने सुनाई सज़ा
ईरान की अदालत ने हाल ही में दो महिलाओं को हिजाब न पहनने के आरोप में सज़ा सुनाई। तेहरान की एक अदालत ने रोया हेशमती नाम की महिला को हिजाब का विरोध करने और न पहनने के लिए 74 कोड़े मारने की सज़ा सुनाई। रोया को प्रवर्तन इकाई में यह सज़ा दी गई। इस दौरान भी रोया ने अपना हिजाब उतार दिया था और इससे वहाँ मौजूद अधिकारी भी भड़क गया और रोया को फिर से हिजाब के बारे में चेतावनी दे दी।
वहीं अहवाज प्रांत के बेहबहान की निवासी जेनब को भी हिजाब न पहनने के आरोप में बेहबहान की अदालत ने सज़ा सुनाई। जेनब ने सोशल मीडिया पर बिना हिजाब पहने फोटो शेयर की थी और इस वजह से उसे 2 साल की जेल की सज़ा सुनाई गई।
रोया और जेनब दोनों ही सज़ा से खुश नहीं हैं और उन्हें सज़ा देना गलत भी है, पर दोनों इस बारे में कुछ न कर सकी।
क्या है महसा अमीनी का मामला?
2022 में हुए हिजाब विरोधी (Anti Hijab) प्रदर्शनों ने काफी तूल पकड़ा। 22 वर्षीय ईरानी महिला महसा अमीनी (Mahsa Amini) के हिजाब का विरोध करने के बाद उसे तेहरान (Tehran) में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस की ही कैद में महसा की मौत हो गई थी। पर महसा की मौत सिर्फ एक मौत नहीं थी बल्कि हत्या थी क्योंकि उसने हिजाब का विरोध किया था। महसा की मौत के बाद से ही पूरे ईरान में हिजाब के विरोध में देशव्यापी प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया था। महिलाओं के साथ पुरुषों ने भी इन हिजाब विरोधी प्रदर्शनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सरकार ने भी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्ती से पुलिस और सेना का इस्तेमाल किया। बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया और सज़ा भी दी गई। पर महसा की मौत के बाद से ही ईरान की कई महिलाओं ने हिजाब पहनना बंद कर दिया।