एक समय में कई काम
हिन्दी, संस्कृत और कम्प्यूटर विज्ञान में स्नातकोत्तर हैं तो उन्होंने संस्कृत में पी.एच.डी की है। संस्कृत में उन्होेने कालिदास के काव्य पर शोध किया है। वे एक्यूप्रेशर में एम.डी हैं और उन्होंने यूनाइटेड किंगडम से अंग्रेज़ी, गणित व शिक्षण सहायक में सर्टिफिकेशन कोर्स किया है। वे पिछले 20 साल से शिक्षण कार्य कर रही हैं। कई संस्कृत शिविर लगाए
प्रवासी भारतीय राइटर ( NRI Writer) इंदु बारौठ ने भारत में संस्कृत भारती के सान्निध्य में कई संस्कृत शिविर लगाए और शिक्षण कार्य किया। वे गुरुकुल यू के नामक संस्था चलाती हैं, जिसमें 100-150 बच्चों को भारतीय डायस्पोरा के अंतर्गत भारतीय भाषा व संस्कृति सिखाई जाती है। गुरुकुल यू के भारत और प्रवासियों में भाषा को लेकर भारतीय डायस्पोरा के अंतर्गत एक सेतु का कार्य कर रही है। इसके अलावा वे भारतीय विद्या भवन में भी हिन्दी पढ़ाती हैं।
प्रसिद्ध व्यक्तियों को सिखाती हैं हिन्दी
इंदु सोआस विश्वविश्वविद्यालय
लंदन में काम कर चुकी हैं। उन्होंने क्रेक्टस लैंग्वेज सेंटर में भी पढ़ाया है। उन्हें प्रसिद्ध कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय इंग्लैंड की ओर से हिन्दी और संस्कृत भाषाओं में मूल्यांकन परिक्षक विशेषज्ञ पर नियुक्त किया गया है। लंदन में प्रसिद्ध व्यक्तियों को हिन्दी सिखाती हैं।
पुरस्कार और सम्मान
इंदु बारौठ को भारत और विदेशों में प्रतिष्ठित संस्थाओं की ओर से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें भारतीय उच्चायोग लंदन से शिक्षण कार्य के लिए गिलक्रिस्ट सम्मान मिला है तो अविरल साहित्य लेखन सम्मान, ज्ञानोदय साहित्य संस्था कर्नाटक की ओर से काव्य सृजन सम्मान, इंटरनेशनल वीमन अचीवर्स सम्मान, अमृता प्रीतम कवयित्री सम्मान और अंतरराष्ट्रीय बसंतोत्सव काव्य सम्मान भी मिले चुके हैं।
सम्मान से नवाजा जा चुका
उन्हें विश्व हिन्दी सचिवालय मॉरीशस की ओर से काव्य लेखन के लिए सम्मान मिल चुका है। वहीं वैश्विक हिन्दी संस्थान यूएसए की ओर से कविता सम्मान, अंतरराष्ट्रीय हिन्दी परिषद की ओर से गणतंत्र भारत सेवी सम्मान, भारतीय उच्चायोग लंदन की ओर से कविता पाठ के लिए सम्मान से नवाजा जा चुका है। इंदु को विश्व हिन्दी सचिवालय मॉरीशस की ओर से प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार भी मिला है।
कई पत्रिकाओं में प्रकाशन
भारतीय उच्चायोग लंदन की ओर से संपादित कविता संकलन संग्रह में कविताओं का प्रकाशन गणादेश, माही संदेश पत्रिका, गगनांचल, गर्भनाल,लंदन से प्रकाशित पुरवाई पत्रिका और अन्य कई पत्रिकाओं में लेख, कहानी व कविताओं का प्रकाशन हो चुका है। दिव्यांगों के लिए प्रकाशित काव्य संग्रह में कविताएं, काव्य वाणी और कई कविता व कहानी संग्रहों में कविताओं और कहानियों का प्रकाशन हो चुका है। उन्हें संस्कृत परिचर्चा पत्र व संस्कृत कविताओं के लिए प्रशस्ति पत्र भी मिल चुका है। उन्हें मुंबई में हिन्दी अकादमी की ओर से मातृभूषण सम्मान और विश्व कीर्ति नारी गौरव सम्मान से नवाजा जा चुका है।