पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स अध्यक्ष एडम एस पोसेन ने जब पश्चिमी मीडिया में भारत के मुस्लिम अल्पसंख्यकों से हिंसा के बारे में रिपोर्टिंग होने के बारे में पूछा, तो सीतारमण ने कहा कि, 1947 में आजादी के बाद से पाक के विपरीत भारत में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है। ऐसा सिर्फ इसलिए, क्योंकि भारत में हर तरह का मुसलमान अपना व्यवसाय कर रहा है, उनके बच्चों को शिक्षा दी जा रही है, फेलोशिप दी जा रही है।
पाकिस्तान को लेकर आईना दिखाते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि, पाकिस्तान में हर अल्पसंख्यक की संख्या में घट रहा है। यहां तक कि खुद को एक इस्लामिक देश घोषित करने के बावजूद वहां कुछ मुस्लिम संप्रदायों पर भी हमला कर सफाया किया जा रहा है। पड़ोसी मुल्क में हर किसी के मन में असुरक्षा का भाव है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक की बैठकों में हिस्सा लेने वाशिंगटन पहुंचीं हैं। वे दूसरी G20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक की अध्यक्षता भी करेंगी।
वाशिंगटन DC में PIIE के बातचीत में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहाकि, मैं चाहती हूं कि विश्व व्यापार संगठन और अधिक प्रगतिशील हो, सभी देशों को सुने, सभी सदस्यों के प्रति निष्पक्ष हो। इसे उन देशों की आवाज़ों को सुनने के लिए और अधिक अवसर देना होगा जिनके पास कहने के लिए कुछ अलग है और न केवल सुनें बल्कि ध्यान भी दें।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहाकि, इस चुनौतीपूर्ण समय में भारत का G20 का अध्यक्ष होना, भारत के लिए साबित करने और सभी देशों को ठोस मुद्दों पर एक साथ लाने की दिशा में काम करने का एक बड़ा अवसर है। मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि G20 के सदस्य एक साथ बैठें और इन मुद्दों को उठाएं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहाकि, आज हम भारत में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में संतृप्ति के करीब पहुंच रहे हैं। आज सरकार का दृष्टिकोण गरीब लोगों को बुनियादी सुविधाएं जैसे घर, पीने का पानी, बिजली आदि के साथ सशक्त बनाना है। हमारा वित्तीय समावेशन पर जोर है ताकि सभी के पास बैंक खाता हो और लाभ सीधे उन तक पहुंचे।
कोरोना महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहाकि, यह निश्चित रूप से भारतीय लोगों की उद्यमी प्रकृति है। अपनों को खोने के बावजूद, भारतीयों ने अवसर देखा कि वे इस चुनौती को स्वीकार कर सकते हैं और बाहर आकर एक दूसरे की मदद कर सकते हैं।