हिंदू विवाह से जुड़े ये नियम फिलहाल इस्लामाबाद में ही लागू हुए हैं, लेकिन इसे एक शुरुआत माना जा रहा है। इन नियमों को पाकिस्तान के सभी संघीय क्षेत्रों की परिषदों के पास क्रियान्वयन के लिए भेज दिया गया है। माना जा रहा है कि जल्दी है पंजाब, खैबर पख्तूनवा और ब्लूचिस्तान आदि पाकिस्तान के राज्यों में भी ये नियम लागू किए जाएंगे। जानकारों के अनुसार, सभी राज्य विवाह के अलग नियम बनाएं, इसके बजाए तकनीकी और राजनीतिक रूप से यही सही होगा कि पाक के दूसरे इलाकों में भी इन्हीं नियमों को मान्यता दे दी जाए।
नियमों में कहा गया है कि अब पाकिस्तान की राजधानी के सभी यूनियन परिषदों को अब हिंदुओं की शादी कराने के लिए एक पंडित या महाराज को पंजीकृत करना होगा। कोई भी ऐसा हिंदू पुरुष पंडित बन सकेगा जिसे हिुंदुत्व की पर्याप्त जानकारी हो। पर ये पंडित तभी नियुक्त हो सकेगा जब इसे स्थानीय पुलिस से चरित्र प्रमाणपत्र मिला हो और समुदाय के 10 लोगों ने उसकी अनुशंसा की हो।
जिस तरह से मुसलमानों के लिए पंजीकृत निकाह-खावां होते हैं उसी तरह से संबंधित यूनियन परिषद भी पंजीकृत ‘महाराज’ को शादी पर्ट यानी विवाह प्रमाण पत्र जारी करेंगे। इस तरह सभी विवाह संघ परिषदों में भी पंजीकृत होंगे।
इन नियमों को पारित करवाने में नेशनल लॉबीइंग डेलिगेशन फॉर माइनोरिटी राइट (एनएलडी) की बड़ी भूमिका रही है। एनएलडी सदस्य जय प्रकाश के अनुसार, पिछले एक दशक में सुरक्षा चिंताओं के कारण सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा से पलायन के कारण इस्लामाबाद में हिंदू समुदाय की आबादी में तेजी से वृद्धि देखी गई है।