scriptआजादी के 75 साल बाद पाकिस्तान में हिंदू शादियों को मिली मान्यता | Neighbor country: Hindu marriages got recognition in Pakistan after | Patrika News
विदेश

आजादी के 75 साल बाद पाकिस्तान में हिंदू शादियों को मिली मान्यता

अंग्रेजों से स्वतंत्रता मिलने के 75 साल बाद अब पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं को अपने रीति-रिवाजों के अनुसार शादी करने की आजादी मिली है। भारत के पड़ोसी देश में हिंदू मैरिज अधिनियम 2017 के बनाए जाने के पांच साल बाद पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में इसको लेकर नियम अधिसूचित किए गए हैं।

Apr 07, 2023 / 11:37 pm

Swatantra Jain

Neighboring country: Hindu marriages got recognition in Pakistan after 75 years of independence

,

अंग्रेजों से स्वतंत्रता मिलने के 75 साल बाद अब पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं को अपने रीति-रिवाजों के अनुसार शादी करने की आजादी मिली है। भारत के पड़ोसी देश में हिंदू मैरिज अधिनियम 2017 के बनाए जाने के पांच साल बाद पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में इसको लेकर नियम अधिसूचित किए गए हैं। इन्हें ‘इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र हिंदू विवाह नियम 2023’ का नाम दिया गया है। पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू लंबे समय से इस कानून के क्रियान्वयन की मांग करते आ रहे थे, जिस पर अब जाकर आंशिक रूप से अमल होता दिख रहा है।
पूरे देश में मिल जाएगी मान्यता
हिंदू विवाह से जुड़े ये नियम फिलहाल इस्लामाबाद में ही लागू हुए हैं, लेकिन इसे एक शुरुआत माना जा रहा है। इन नियमों को पाकिस्तान के सभी संघीय क्षेत्रों की परिषदों के पास क्रियान्वयन के लिए भेज दिया गया है। माना जा रहा है कि जल्दी है पंजाब, खैबर पख्तूनवा और ब्लूचिस्तान आदि पाकिस्तान के राज्यों में भी ये नियम लागू किए जाएंगे। जानकारों के अनुसार, सभी राज्य विवाह के अलग नियम बनाएं, इसके बजाए तकनीकी और राजनीतिक रूप से यही सही होगा कि पाक के दूसरे इलाकों में भी इन्हीं नियमों को मान्यता दे दी जाए।
शादी कराएंगे पंडित, इस तरह होगी नियुक्ति
नियमों में कहा गया है कि अब पाकिस्तान की राजधानी के सभी यूनियन परिषदों को अब हिंदुओं की शादी कराने के लिए एक पंडित या महाराज को पंजीकृत करना होगा। कोई भी ऐसा हिंदू पुरुष पंडित बन सकेगा जिसे हिुंदुत्व की पर्याप्त जानकारी हो। पर ये पंडित तभी नियुक्त हो सकेगा जब इसे स्थानीय पुलिस से चरित्र प्रमाणपत्र मिला हो और समुदाय के 10 लोगों ने उसकी अनुशंसा की हो।
सरकार तय करेगी पंडितों की दक्षिणा, जारी होंगे शादी प्रमाण पत्र
जिस तरह से मुसलमानों के लिए पंजीकृत निकाह-खावां होते हैं उसी तरह से संबंधित यूनियन परिषद भी पंजीकृत ‘महाराज’ को शादी पर्ट यानी विवाह प्रमाण पत्र जारी करेंगे। इस तरह सभी विवाह संघ परिषदों में भी पंजीकृत होंगे।
नियमों के अनुसार, विवाह अधिनियम के तहत इस तरह नियुक्त कोई भी ‘महाराज’ सरकार निर्धारित शुल्क के अलावा विवाह को संपन्न कराने के लिए कोई पैसा नहीं लेगा। किसी ‘महाराज’ की मृत्यु या उसका लाइसेंस रद्द होने की स्थिति में, उसके द्वारा रखा गया समस्त विवाह रिकॉर्ड संबंधित यूनियन को प्रस्तुत किया जाएगा, जिसे बाद में उसके उत्तराधिकारी को सौंप दिया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार अब तक पाकिस्तान के केवल सिंध प्रांत में ही 18 वर्ष से अधिक आयु के हिंदू पुरुषों और महिलाओं को अपने विवाह को पंजीकृत करने के लिए कानून बनाया गया था। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में ही हिंदुओं की बड़ी आबादी रहती है।
तलाक के भी नियम तय

नए नियम में विवादों को सुलझाने या तलाक की प्रक्रिया भी तय की गई है। ‘इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र हिंदू विवाह नियम 2023’ में नियमों की धारा 7 हिंदुओं को पश्चिमी पाकिस्तान परिवार न्यायालय अधिनियम 1964 के तहत विवाह की समाप्ति के लिए भी अदालतों का दरवाजा खटखटाने की अनुमति देती है।
असुरक्षा के चलते हिंदू भाग रहे इस्लामाबाद की ओर
इन नियमों को पारित करवाने में नेशनल लॉबीइंग डेलिगेशन फॉर माइनोरिटी राइट (एनएलडी) की बड़ी भूमिका रही है। एनएलडी सदस्य जय प्रकाश के अनुसार, पिछले एक दशक में सुरक्षा चिंताओं के कारण सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा से पलायन के कारण इस्लामाबाद में हिंदू समुदाय की आबादी में तेजी से वृद्धि देखी गई है।

Hindi News / world / आजादी के 75 साल बाद पाकिस्तान में हिंदू शादियों को मिली मान्यता

ट्रेंडिंग वीडियो