scriptNamibia : आखिर कैसे आई इतनी भयंकर भुखमरी कि जंगली और विशाल जानवरों को ही मारकर खाने को मजबूर हो गए लोग? | Namibia face such a severe famine that people were forced to kill wild animals and eat them | Patrika News
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Namibia : आखिर कैसे आई इतनी भयंकर भुखमरी कि जंगली और विशाल जानवरों को ही मारकर खाने को मजबूर हो गए लोग?

Namibia : अफ्रीकी देश नामीबिया में भुखमरी से हालात बद से बदतर होती जा रही है। वहां की आधी आबादी भूख के संकट से जूझ रही है। अब जब खाने के लिए अनाज नहीं बचा तो सरकार ने जंगली जानवरों का शिकार करने का आदेश दिया है। हाथी, जेब्रा और हिप्पो जैसे 700 से ज्यादा जानवरों को मारकर उनका मांस बांटा जा रहा है।

नई दिल्लीSep 03, 2024 / 02:47 pm

Devika Chatraj

Namibia : आठ लाख वर्ग किलोमीटर से ज्यादा फैला साउथ अफ्रीका का नामीबिया भुखमरी और सूखे से परेशान हो रहा है। भूख से जूझ रहे नामीबिया में अब जंगली जानवरों को मारकर भूख मिटाने की कोशिश की जा रही है। हाल ही में वहां की सरकार ने 700 से ज्यादा जंगली जानवरों को मारने का आदेश दे दिया है, जिनका मांस गरीबों में बांटा जाएगा ताकि उनकी भूख मिटाई जा सके। नामीबिया की सरकार ने पिछले हफ्ते जंगली जानवरों को मारने का आदेश दिया है। सरकार ने कुल 723 जंगनी जानवरों का शिकार करने और उनका मांस गरीबों में बांटने को कहा है। जिन जानवरों को मारने का आदेश सरकार ने दिया है, उनमें 30 हिप्पो (दरियाई घोड़े), 60 भैंस, 100 ब्लू वाइल्डबीस्ट, 300 जेब्रा, 83 हाथी और 100 एलैंड्स (हिरण की एक प्रजाति) शामिल है। पिछले हफ्ते तक इनमें से 157 जानवरों को मारा भी जा चुका है। इनका 57,875 किलो मांस सूखा प्रभावित इलाकों में बांटा भी जा चुका है।

नामीबिया एक साल से भुखमरी और सूखे की हालत से जूझ रहा है। बारिश नहीं होने और गर्मी बढ़ने से सूखा पड़ गया। इसकी वजह से भुखमरी के हालात पैदा हो गए। यही कारण है सरकार ने अब लोगों की भूख मिटाने के लिए जंगली जानवरों को मारकर उनका मांस बांटने के आदेश दिया है।

नामीबिया के बिगड़ते हालात

नामीबिया जैसे अफ्रीकी देशों में सूखा पड़ना कोई नई बात नहीं है। लेकिन इस बार नामीबिया 100 साल के सबसे भयानक सूखे का सामना करना पड़ रहा है। सूखा पड़ने के कारण नामीबिया के राष्ट्रपति नांगोलो बुम्बा ने इस साल 22 मई को इमरजेंसी घोषित कर दी थी।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, पिछले महीने तक नामीबिया के पास जितना खाद्य भंडार था, उसका 84% खत्म हो चुका था। यानी कि अब वहां सरकार के पास भी इतना खाना नहीं बचा है कि लोगों को बांटकर उनकी भूख मिटा सके।
इतना ही नहीं, संयुक्त राष्ट्र ने आने वाले महीनों में नामीबिया में भुखमरी से हालात और भी ज्यादा बिगड़ने की चेतावनी दी है। बताया जा रहा है की आने वाले कुछ ही महीनों में नामीबिया की आधी से ज्यादा आबादी के सामने खाने-पीने का भयानक संकट होगा।

बिगड़े हालात का कारण

सिर्फ नामीबिया ही नहीं, बल्कि दक्षिण अफ्रीका के और भी देश सूखे का सामना कर रहे हैं। इसकी शुरुआत पिछले साल अक्टूबर से ही हो गई थी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि गर्मी बढ़ी और बारिश कम हुई। जानकारी के मुताबिक, फरवरी में नामीबिया में सबसे ज्यादा बारिश होती है। लेकिन इस साल इस महीने में जितनी बारिश होनी थी, उसका 20% पानी भी वहां नहीं बरसा। नामीबिया का 92% इलाका बहुत ज्यादा सूखा है। बारिश न होने के कारण नामीबिया के हालात बद से बदतर हो गए और अब भुखमरी का सामना करना पढ़ रहा है।

भुखमरी के तीन बड़े कारण

  • क्लाइमेटः नामीबिया अफ्रीका का सबसे सूखा देश है। यहां हर साल औसतन 10 इंच से भी कम बारिश होती है। कुछ-कुछ इलाकों में 25 इंच तक भी बारिश होती है। लेकिन इस साल यहां नाममात्र की बारिश हुई है। फरवरी-मार्च में थोड़ी बारिश होने के बाद अप्रैल के बाद से यहां एक बूंद पानी नहीं बरसा है। बारिश न होने के कारण अनाज की पैदावार नहीं हो रही है। इस कारण भुखमरी के हालात बन गए।
  • महंगाईः मई 2023 से मई 2024 के बीच हर महीने महंगाई दर औसतन पांच फीसदी से ऊपर रही है। खाने-पीने का सामान और तंबाकू, बिजली, गैस और पेट्रोल के दाम बढ़ने से महंगाई लगातार बढ़ रही है। पेट्रोल की कीमतें बढ़ने से फूड और नॉन-फूड आइटम्स की कीमतें बढ़ी हैं, जिससे लोगों की कमाई पर असर पड़ा है।
  • बेरोजगारीः नामीबिया उन देशों में है जहां सबसे ज्यादा बेरोजगारी है। अभी यहां बेरोजगारी दर 20 फीसदी के आसपास है, जबकि, 46 फीसदी युवा यहां बेरोजगार हैं। बेरोजगारी की वजह से यहां गरीबी भी काफी है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, नामीबिया में हर तीन में से एक बच्चा गरीब परिवार में जन्म लेता है। इतना ही नहीं, यहां की 44 फीसदी आबादी गरीबी में गुजारा करती है।

जानवरों से मिटेगी भूख?

इस बार नामीबिया के हालत काफी ज्यादा खराब हो गए हैं, इसके चलते वहां की सरकार ने जानवरों को मारने के आदेश दिया है इस आदेश के बाद इसे राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, नामीबिया में इस साल नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव हैं। सूखे से नामीबिया के सभी 14 रीजन बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। जानकारों का मानना है कि जानवरों को मारने का आदेश देने का मकसद लोगों की भूख मिटाना नहीं, बल्कि उनके वोट बंटोरना है। कावांगो और कैप्रिवी जैसे ग्रामीण इलाकों में सत्तारूढ़ पार्टी को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में यहां के लोगों के वोट बंटोरने के लिए इस कदम को उठाया गया है।

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