बता दें कि न्यूजीलैंड में माओरी समुदाय के लोग हाल ही में संसद में पेश किए गए ‘संधि सिद्धांत विधेयक’ (Treaty Principles Bill) के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। ये विधेयक 1840 में ब्रिटिश क्राउन और माओरी नेताओं के बीच हुई ‘वेटांगी संधि’ (Treaty of Waitangi) की पुनर्व्याख्या का प्रस्ताव रखता है, जिससे माओरी समुदाय को मिले विशेष अधिकारों में बदलाव की संभावना जताई जा रही है।
क्या है वेटांगी संधि?
वेटांगी संधि न्यूजीलैंड के इतिहास की सबसे पुरानी और महत्वपूर्ण संधि है। ये 6 फरवरी 1840 को माओरी जनजाति और ब्रिटिश साम्राज्य के बीच हुई थी। ये संधि माओरी जनजाति के अधिकारों का संरक्षित करने की कोशिश को लेकर की गई थी। जिसमें न्यूजीलैंड को ब्रिटेन का औपनिवेश बनाने की बात तो थी लेकिन माओरी समुदाय की भूमि, जंगल, मछली पकड़ने के इलाकों समेत दूसरे प्राकृतिक संसाधनों पर जनजाति के पाररंपरिक अधिकारों को मान्यता दी गई थी। हालांकि कई इतिहासकारों का मानना है कि इस संधि के बावजूद जब न्यूजीलैंड पर ब्रिटिश सत्ता स्थापित हुई तो धीरे-धीरे अंग्रेजों ने माओरी समुदाय के भूमि और उनके इलाकों पर भी कब्जा करना शुरू कर दिया। ऐसे में माओरी का मानना है कि उनके अधिकारों की पूरी तरह रक्षा नहीं की गई। न्यूजीलैंड में 6 फरवरी को वेटांगी दिवस भी मनाया जाता है और इस दिन देश भर में सार्वजनिक अवकाश भी रहता है।
न्यूजीलैंड की संसद में पेश बिल में क्या है?
न्यूजीलैंड का ‘संधि सिद्धांत विधेयक’ (Treaty Principles Bill 2024) देश में वेटांगी संधि से संबंधित कानूनी और राजनीतिक मुद्दों को स्पष्ट करना है। इसमें तीन प्रमुख सिद्धांत शामिल हैं 1-न्यूज़ीलैंड सरकार को सभी नागरिकों पर शासन और कानून बनाने का अधिकार होगा। 2- सरकार उन अधिकारों का सम्मान और संरक्षण करेगी जो माओरी समुदाय के हापू और इवी समूहों को संधि के तहत मिले हैं।
3- सभी नागरिकों को इस कानून के तहत समानता और भेदभाव रहित अधिकार मिलेंगे।
विधेयक कैसे विवादों से घिरा?
दरअसल इस विधेयक के आलोचकों का कहना है कि इसे तैयार करते समय माओरी समुदाय से विचार-विमर्श नहीं किया गया था। ये विधेयक वेटांगी संधि के ‘साझेदारी’ और ‘सक्रिय संरक्षण’ जैसे सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। ये माओरी समुदाय के स्वायत्तता के अधिकार को कमजोर कर सकता है और उनके लिए सामाजिक और कानूनी असमानताओं को बढ़ा सकता है। सरकार ने इस विधेयक को गठबंधन सहयोगियों के समर्थन में पेश किया है, वहीं माओरी नेताओं और वेटांगी ट्रिब्यूनल ने इसे अस्वीकार करने की मांग की है। ट्रिब्यूनल के मुताबिक ये विधेयक माओरी अधिकारों और क्राउन-माओरी संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
क्या कह रहा माओरी समुदाय?
वहीं माओरी समुदाय का मानना है कि ये विधेयक उनके ऐतिहासिक अधिकारों और संधि में किए गए वादों का उल्लंघन करता है। वे चाहते हैं कि उनके सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक अधिकारों की सुरक्षा की जाए और संधि के मूल सिद्धांतों का सम्मान किया जाए। इसलिए ये जनजाति इस विधेयक को रद्द करने और अपने अधिकारों की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। माओरी समुदाय के लोग इस विरोध के दौरान, पारंपरिक ‘हाका’ डांस कर रहे हैं। ये हाका डांस इस जनजाति के सांस्कृतिक विरोध का प्रतीक है। हाल ही में न्यूजीलैंड की सबसे युवा सांसद, हाना-रावहिती करैरिकी माईपी-क्लार्क ने ही संसद में विधेयक की कॉपी को फाड़ था और हाका डांस कर विरोध जताया था। तब से शुरू हुए इस विरोध प्रदर्शन में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया, जो न्यूजीलैंड के इतिहास में माओरी समुदाय का सबसे बड़ा प्रदर्शन माना जा रहा है।
क्या कह रही है न्यूजीलैंड की सरकार?
देश भर में माओरी जनजाति समुदाय के विरोध पर न्यूजीलैंड की सरकार ने का दावा है कि ये विधेयक सभी न्यूजीलैंडवासियों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करने की कोशिश है, लेकिन माओरी समुदाय इसे अपने ऐतिहासिक अधिकारों पर हमला मानता है। इस विवाद के चलते संसद और देशभर में विरोध प्रदर्शन बढ़ रहे हैं।