वो अहम सूचनाएं जुटाते हैं
रक्षा सूत्रों ने बताया कि मोसाद की आपरेशनल विंग, जिसे केसारिया के नाम से जाना जाता है, वो खासतौर पर अरब देशों में जासूसों को तैनात करती है और उन्हें मैनेज करती है,उनके जरिए वो अहम सूचनाएं जुटाते हैं। मोसाद अपने टारगेट मर्डर को लेकर बहुत कुख्यात है। खासकर उन लोगों के खिलाफ जिन्हें सुरक्षा के लिए खतरा माना जाता है। मोसाद का पूरा नाम इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलीजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस है। यह इज़राइल की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी है। मोसाद का गठन इजराइल के पहले प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियोन (David ben gurion) के आदेश पर 13 दिसंबर 1949 में हुआ था। दरअसल पीएम डेविड एक ऐसा ही संगठन तैयार करना चाहते थे।दुनिया की सबसे सफल जासूसी एजेंसी है मोसाद
रक्षा सूत्रों के अनुसार मोसाद का पूरा नाम इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलीजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस है। यह इजराइल की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी है। मोसाद इजराइली इंटेलीजेंस नेटवर्क के तहत काम करती है। इस नेटवर्क में मोसाद के अलावा अमान (सैन्य इंटेलिजेंस) और शिन बेट (आंतरिक सुरक्षा) भी है। एक अनुमान के मुताबिक, मोसाद का सालाना बजट 2.73 अरब डॉलर है. भारतीय करेंसी के हिसाब से यह 22810 करोड़ रुपये है, जिसे कैबिनेट से मंजूरी मिलती है। अनुमान के मुताबिक मोसाद के तहत लगभग 7000 लोग काम करते हैं, जिस वजह से यह दुनिया की सबसे बड़ी जासूसी एजेंसियों में से एक है।डेविड बेन गुरियोन के आदेश पर मोसाद का गठन
रक्षा सूत्रों के मुताबिक मोसाद का गठन इज़राइल के पहले प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियोन के आदेश पर 13 दिसंबर 1949 में हुआ था। दरअसल पीएम डेविड एक ऐसे संगठन को तैयार करना चाहते थे, जो सेना के साथ मिल कर देश की सुरक्षा के लिए खुफिया तौर पर काम करता रहे। मोसाद खुफिया जानकारियां इकट्ठी कर अपने ऑपरेशंस को अंजाम देता है। इसके अधिकतर ऑपरेशंस देशहित में होते हैं.।आतंकवाद से निपटने के लिए भी मोसाद इस तरह के खुफिया ऑपरेशन में जुटा रहता है। मोसाद के निदेशक सीधे प्रधानमंत्री को ही रिपोर्ट करते हैं।मोसाद में कैसे होती हैं एजेंट्स की भर्तियां?
रक्षा सूत्रों के अनुसार मोसाद में एजेंट्स की भर्तियों को समझने के लिए Katsa, Kidon और Sayanim इन तीन शब्दों को समझना जरूरी है। मोसाद के फील्ड इंटेलिजेंस ऑफिसर को Katsa कहा जाता है। Katsa ही फील्ड एजेंट्स की भर्तियां करता है। Katsa दरअसल एक हिब्रू शब्द है, जिसका मतलब होता है खुफिया अधिकारी। Katsa ही फील्ड एजेंट्स की भर्तियां की भर्ती करता है और एजेंटस के माध्यम से एकत्र की गई सूचनाएं डायरेक्टर को देता है। मोसाद के प्रोफेशनल किलर्स को Kidon कहा जाता है और इनका काम ऑपरेशन के दौरान जरूरत पड़ने पर कत्ल करना होता है. इसके लिए एजेंट्स को दो साल की ट्रेनिंग दी जाती है। Sayanim उन लोगों को कहा जाता है कि जो इजराइल के लिए समर्पण की भावना के साथ मोसाद के लिए काम करते हैं। इसके लिए इन लोगों को किसी तरह का मेहनताना नहीं दिया जाता है। आसान भाषा में इन्हें खबरी कहा जा सकता है, ये लोग मोसाद के फील्ड एजेंटस को रिपोर्ट करते हैं। गार्डन थॉमस की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन में इस समय लगभग 4000 Sayanim हैं। मोसाद का पूरा काम इज़राइल के प्रधानमंत्री के इशारे पर ही होता है।अमान सैन्य इंटेलीजेंस से जुड़ी हुई है
रक्षा सूत्रों के मुताबिक मोसाद इज़राइल इंटेलीजेंस नेटवर्क के तहत काम करती है। इस नेटवर्क में मोसाद के अलावा अमान (सैन्य इंटेलीजेंस) और शिन बेट (आंतरिक सुरक्षा) भी हैं। मोसाद के अलावा अमान (Aman) और शिन बेत (Shin Bet) इजरायल की प्रमुख जांच एजेंसियां हैं। ये तीनों एजेंसियां अलग-अलग मोर्चों पर सुरक्षा के काम में मुस्तैद हैं,जहां एक तरफ अमान सैन्य इंटेलीजेंस से जुड़ी हुई है तो मोसाद खुफिया ऑपरेशन को अंजाम देती है, जबकि शिन बेत घरेलू सुरक्षा का जिम्मा उठाए हुए है।अमान इज़राइल डिफेंस फोर्सेज की सैन्य इंटेलीजेंस इकाई
रक्षा सूत्रों के अनुसार अमान (Aman) इज़राइल डिफेंस फोर्सेज की सैन्य इंटेलीजेंस इकाई है। इसकी सन 1950 में स्थापना की गई थी। यह एक स्वतंत्र इकाई है, जो सैन्य खुफिया जानकारी मुहैया करवाती है। यह एजेंसी सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करती है। अमान की एक साइबर वारफेयर ब्रांच भी है, जिसका नाम Unit 8200 है। इसके अलावा Aman के तहत Unit 504 और Unit 81 जैसी इंटेलीजेंस यूनिट भी है। Unit 8200 ने ही हाल ही में लेबनान में पेजर और वॉकी-टॉकी ब्लास्ट को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई थी। यह यूनिट 8200 कई बड़े ऑपरेशंस में शामिल रही है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बर्बाद करने में इस यूनिट की बड़ी भूमिका मानी जाती है। कहा जाता है कि इस यूनिट में Struxnet नाम का एक वायरस तैयार किया था, जिसका इस्तेमाल कर इस यूनिट ने ईरान के परमाणु संयत्रों पर हमला किया था। यह वायरस परमाणु संयत्रों में लगे सेंट्रसेंट्रीफ्यूज को अंदर से ही जला देता था। इसकी जानकारी लंबे समय तक ईरान को नहीं हो पाई थी। इसके अलावा यूनिट 8200 ने 2018 में संयुक्त अरब अमीरात से ऑस्ट्रेलिया जा रहे एक विमान को हाईजैक होने से बचाया था।