ईरान के न्युक्लियर साइट और एयर डिफेंस सिस्टम थे इजरायल का निशाना
ईरान पर हुए इजरायल के कथित हमले में एक रिपोर्ट सामने आई है। इसमें कहा गया है कि हमले में इजरायल ने ईरान के न्युक्लियर साइट और एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाया था। जिससे ईरान कमजोर हो जाए और युद्ध करने की स्थिति में ना रहे। इसे लेकर अमेरिकी समाचार एजेंसियों ने कहा है कि इज़राइल ने ईरान पर हमला किया है लेकिन इजरायल इस बात को खुले तौर पर स्वीकार नहीं कर रहा है।
S-300 एयर डिफेंस सिस्टम को ‘उडा़ना’ चाहती थी इजरायली सेना
प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने उस ईरान के टारगेट क्षेत्र की सैटेलाइट इमेज का विश्लेषण किया है जहां पर इजरायल ने कथित तौर पर हमला किया है। इन तस्वीरों में रूस के S-300 एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली की बैटरी को इसाफान अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के उत्तर-पूर्व में स्थित दिखाया गया है।
वहीं इसी जगह की जब 19 अप्रैल को सैटेलाइट इमेज निकाली गई तो वो जगह बिल्कुल खाली थी। वहां पर S-300 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम का कोई नामो-निशान नहीं था। जो दिखाता है कि इजरायल का टारगेट यही सिस्टम था।
7 अक्टूबर को हमास के हमले पर विफलता को लेकर दिया इस्तीफा
वहां दूसरी तरफ इजरायल के मिलिट्री इंटेलीजेंस के चीफ मेजर-जनरल अहरोन हलीवा ने पिछले अक्टूबर में हमास (Hamas Attack on Israel) के घातक हमले को रोकने में विफलता का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया। इसी के साथ वो हमले की जिम्मेदारी लेने और पद छोड़ने वाले पहले वरिष्ठ अधिकारी बन गए हैं। अपने त्याग पत्र में हलीवा ने लिखा कि 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के इजरायल पर किए गए हमले में वो पश्चाताम जता रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि वो अपने डिवीजन के सौंपे गए काम को पूरा नहीं कर पाए।
उन्होंने त्यागपत्र में लिखा कि 7 अक्टूबर का दिन एक काला दिन था। जो उन्होंने झेला है। उनकी कमान के तहत खुफिया प्रभाग उस कार्य पर खरा नहीं उतरा जो हमें उन्हें सौंपा गया था। तब से वो उस काले दिन को अपने साथ लेकर चल रहे हैं। उन्होंने इस पत्र में लिखा कि “मैं युद्ध के भयानक दर्द को हमेशा अपने साथ लेकर चलूंगा।”