बीते शुक्रवार को रायल कनाडियन माउंटेड पुलिस के असिस्टेंट कमिश्नर डेविड टेबोल ने कहा, विमान में विस्फोट की यह घटना कनाडा को प्रभावित करने वाली सबसे बड़ी आतंकी वारदात थी। उन्होंने बताया कि मामले की जांच अभी भी जारी है। 2025 में इस घटना की 40 वीं वर्षगांठ जांच के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित हो सकती है, विश्वास है कि तब हम निष्कर्ष पर पहुंच चुके होंगे।
खालिस्तानी आतंकियों ने किया था विस्फोट (Kanishka Plane crash)
कनिष्क विमान (Kanishka Plane crash) भारत की एयर इंडिया की फ्लाइट थी। 23 जून 1985 को हुई थी को खालिस्तानी आतंकियों (Khalistan Terrorist) ने इस विमान में बम विस्फोट कर दिया था जिसमें, 329 लोगों की मौत हो गई थी। ये घटना एयर इंडिया के इतिहास में सबसे घातक और विश्व इतिहास में सबसे घातक हवाई हमलों में से एक मानी जाती है।
कैसे हुआ था हमला
एयर इंडिया की ये फ्लाइट 182, एक बोइंग 747-237B, जो मॉन्ट्रियल, कनाडा से लंदन, इंग्लैंड के रास्ते नई दिल्ली, भारत जा रही थी। इस विमान ने मॉन्ट्रियल से उड़ान भरी फिर कनाडा के टोरंटो में रुका। इसके बाद इसने लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे की तरफ उड़ान भरी। लेकिन इससे पहले ही टोरंटो में खालिस्तानी आतंकियों ने चेक-इन कर एक सूटकेस में बम फिट कर दिया था। ये सूटकेस मॉन्ट्रियल में विमान में लोड कर दिया गया था। लंदन जाते हुए जब ये विमान अटलांटिक महासागर के ऊपर उड़ान भर रहा था तभी उसमें बम विस्फोट हुआ। ये विस्फोट आयरिश हवाई क्षेत्र में हुआ और ये विमान समुद्र में गिर गया।
खालिस्तानी आतंकियों का सबसे क्रूर चेहरा, ये थे आरोपी
इस आतंकवादी हमले के पीछे खालिस्तान समर्थक आतंकवादी संगठन का हाथ था। इस घटना के प्रमुख आरोपी, तलविंदर सिंह परमार, एक कनाडाई-भारतीय नागरिक था, जिसे इस हमले का मास्टरमाइंड माना जाता है। ये विमान दुर्घटना कनाडा, आयरलैंड, और भारत की संयुक्त जांच का विषय बन गई थी। कनाडा की रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) और कनाडा की सुरक्षा खुफिया सेवा (CSIS) ने इसकी जांच की। इस मामले में कई संदिग्धों पर आरोप लगाए गए, लेकिन पर्याप्त सबूतों की कमी के चलते कई आरोपी सजा से बच गए। साल 2003 में अजा-इंद्रजीत सिंह रेहात को सजा सुनाई गई थी, जो बम बनाने और रखने के लिए जिम्मेदार था।
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कनिष्क विमान दुर्घटना के बाद हवाई अड्डों और उड़ानों की सुरक्षा में अहम बदलाव किए गए। बम धमाकों की रोकथाम के लिए नए सुरक्षा उपाय अपनाए गए। इस दुर्घटना में मारे गए लोगों की याद में कई स्मारक बनाए गए, जो आयरलैंड, कनाडा और भारत में बने हैं।
इस घटना ने विश्व स्तर पर हवाई सुरक्षा को मजबूत करने और आतंकवाद के खतरों को लेकर जागरूकता बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाई लेकिन ये दुर्घटना उन परिवारों के लिए एक दर्दनाक मंजर बना हुआ है जिन्होंने अपने लोगों को इस भीषण विमान हादसे में खो दिया।