पाकिस्तान का वो हिंदू मंदिर जिसे मुस्लिम भी मानते हैं ‘पवित्र हज’
बंटवारे के चलते पाकिस्तान के हिस्से कई हिंदू मंदिर भी चले गए जिन पर आज भी करोड़ों भारतीयों की आस्था है। लेकिन एक मंदिर ऐसा भी है जिस पर सिर्फ हिंदुओं की ही नहीं बल्कि मुस्लिम सुमदाय भी पवित्र हज की तरह मानता है। हम आपको इसी प्रसिद्ध और शक्तिशाली मंदिर के बारे में बता रहे हैं।
Hinglaj Temple in Pakistan: भारत के इतिहास का सबसे भयानक दौर गुलामी का था, जो करीब 1000 सालों तक रहा। 15 अगस्त 1947 में जब भारत को आज़ादी मिली तो उसके दो टुकड़े कर दिए गए हैं। एक ही ज़मीन का बंटवारा कर एक नया देश बना दिया गया और नाम दिया पाकिस्तान। बंटवारे के चलते पाकिस्तान के हिस्से कई हिंदू मंदिर भी चले गए जिन पर आज भी करोड़ों भारतीयों की आस्था है। लेकिन एक मंदिर ऐसा भी है जिस पर सिर्फ हिंदुओं की ही नहीं बल्कि मुस्लिम सुमदाय भी पवित्र हज की तरह मानता है। हम आपको इसी प्रसिद्ध और शक्तिशाली मंदिर के बारे में बता रहे हैं।
पाकिस्तान का ये मशहूर मंदिर है श्री हिंगलाज माता मंदिर… जिस हिंगलाज देवी मंदिर (Hinglaj Temple) भी कहा जाता है। ये मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के लासबेला जिले में स्थित है। ये हिंदू धर्म के 52 शक्तिपीठों में से एक है। वहीं पाकिस्तान में ये 3 शक्ति पीठों में से एक है, बाकी दो शिवहरकारे और शारदा पीठ हैं। पिछले तीन दशकों में इस स्थान ने बढ़ती लोकप्रियता हासिल की है और पाकिस्तान के कई हिंदू समुदायों के लिए एक आस्था का केंद्र बन गया है।
क्या कहानी है हिंगलाज माता मंदिर की ?
इस मंदिर की उत्पति हिन्दू पौराणिक कथाओं में लिखी हुई है। जिनके मुताबिक भगवान शिव की पत्नी सती ने अपने पिता दक्ष के भगवान शिव के अपमान करने के बाद आत्मदाह कर लिया था। सती के जाने के बाद उनके वियोग में भगवान शिव उनके जले हुए शरीर के साथ ब्रह्मांड में घूमते रहे थे। भगवान शिव की इस पीड़ा को खत्म करने के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर को 108 भागों में विभाजित कर दिया और माना जाता है कि उनका सिर उस स्थान पर गिरा था जहां अब हिंगलाज माता मंदिर है। हिंगलाज मंदिर में सती के इस रूप को देवी हिंगलाज माता की तरह पूजा जाता हैं।
मुस्लिम मानते हैं हज यात्रा या ‘नानी की हज यात्रा’
हिंगलाज यात्रा जो पाकिस्तान में सबसे बड़ी हिंदू तीर्थ यात्रा हैं। हर साल हिंगलाज यात्रा के दौरान 250,000 से ज्यादा लोग इस यात्रा में भाग लेते है। उस क्षेत्र में रहने वाले मुस्लिम समुदाय इस तीर्थयात्रा को ‘नानी का हज’ (दादी की तीर्थयात्रा) के रूप में संदर्भित करता है, जो इस स्थल के प्रति उनका सम्मान और श्रद्धा को दिखाता है।
हिंगलाज यात्रा की शुरुआत, वो भक्त जो मंदिर तक पहुंचने के लिए रेगिस्तान से एक चुनौतीपूर्ण यात्रा करते है। जब वो वहां पहुंच जाते है तो कई बड़े अनुष्ठानों में भाग लेते हैं जैसे मंदिर के पास चंद्रगुप मिट्टी के ज्वालामुखी पर नारियल चढ़ाना, परिक्रमा करना और मंदिर में हो रहे कई समारोहों में भाग लेना।
हिंगलाज मंदिर की पाकिस्तान में मान्यता
ये मंदिर सदियों से तीर्थयात्रा का केंद्र रहा हैं। मुस्लिम बहुल देश में स्थित होने के बावजूद, हिंगलाज माता मंदिर ने हिंदुओं और मुसलमानों सहित कई समुदाय के लोगों को आकर्षित करता है। ये मंदिर न सिर्फ हिंदुओं के लिए बल्कि स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लिए भी महत्वपूर्ण है।
पाकिस्तान में प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर
पाकिस्तान में हिंगलाज देवी मंदिर जैसे और भी प्रसिद्ध मंदिर है जैसे श्री रामदेव पीर मंदिर (जिसका वार्षिक रामदेवपीर मेला पाकिस्तान में दूसरा सबसे बड़ा हिंदू तीर्थयात्रा है), उमरकोट शिव मंदिर (अपने वार्षिक शिवरात्रि उत्सव के लिए प्रसिद्ध है), चुर्रिओं जबल दुर्गा माता मंदिर (शिवरात्रि समारोह के लिए प्रसिद्ध है जिसमें 200,000 तीर्थयात्री भाग लेते हैं) , ऐसे ही पाकिस्तान में अब 20 मंदिर है जो वहां रहने वाले हिंदू समुदाय में काफी मान्यता रखते हैं।