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India Export-Import : विदेशों में भारत के सेवा निर्यात की क्यों है डिमांड, जानिए

India Export-Import: विदेशों में भारत के सेवा निर्यात की बहुत डिमांड है। आखिर ऐसा क्यों है, जानिए।

नई दिल्लीJun 25, 2024 / 06:32 pm

M I Zahir

India import Export

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India Export-Import : भारत के लिए सेवा क्षेत्र का बहुत महत्त्व है। भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा सेवा निर्यातक है और वित्त वर्ष 2011 में कुल सकल मूल्यवर्द्धित (GVA) में सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी 54% थी। सेवा क्षेत्र भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता रहा है, जो वर्ष 2000 और 2021 के बीच कुल अंतर्वाह का 53% था। भारत से कुल निर्यात वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 13.84 प्रतिशत बढ़कर 770.18 अरब अमेरिकी डॉलर होने के साथ ही नई ऊंचाइयों पर पहुंचा है।
विदेशों में भारत के सेवा निर्यात का जायजा।
विदेशों में भारत के सेवा निर्यात का जायजा।

भारत के लिये सेवा क्षेत्र का महत्त्व

भारत के वस्‍तु निर्यात ने वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 6.03% की वृद्धि के साथ 447.46 अरब अमेरिकी डॉलर का अब तक का सर्वाधिक वार्षिक निर्यात दर्ज किया है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 के 422.00 अरब अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड निर्यात से अधिक है।

आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा

जानकारी के अनुसार सेवा व्यापार में अधिशेष ने ऐतिहासिक रूप से माल शिपमेंट में भारत के महत्त्वपूर्ण घाटा कम कर दिया है। इस अधिशेष का लाभ उठा कर, देश व्यापारिक निर्यात के कारण होने वाले घाटे की भरपाई कर सकता है और अधिक आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा दे सकता है।

चर्चा में क्यों?

भारत का सेवा क्षेत्र लगातार उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कर रहा है। हाल ही में विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization- WTO) की रिपोर्ट ने 2023 में सेवा निर्यात में 11.4% की वृद्धि के साथ वैश्विक सेवा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी दोगुनी होने पर प्रकाश डालते हुए इस कथन को मज़बूत किया है।

मुख बिंदु क्या हैं?

अनुमानित वृद्धि: गोल्डमैन सैक्स (एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी) का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक भारत का सेवा निर्यात 800 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा, जो पिछले वर्ष के 340 बिलियन डॉलर से काफी अधिक है, इस वृद्धि से आपूर्ति पक्ष के खिलाफ बाहरी क्षेत्र को बढ़ावा मिलने और रुपए की अस्थिरता कम होने की उम्मीद है।

निर्यात गंतव्य

एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमरीका में बढ़ते बाज़ारों के साथ भारत व उत्तरी अमरीका और यूरोप को सबसे अधिक सेवाएं निर्यात करता है।

चालू खाता घाटा

जानकारी के अनुसार वर्ष 2024 से 2030 तक चालू खाता घाटा, सकल घरेलू उत्पाद का औसतन 1.1% रहने का अनुमान है। पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव और ईरान को कृषि निर्यात में कमी के कारण सेवाओं के निर्यात से होने वाले संभावित लाभ की भरपाई के बावजूद 2024 के लिये सकल घरेलू उत्पाद के 1.3% पर अपरिवर्तित बने हुए हैं।

वैश्विक सेवा निर्यात में योगदान

पिछले 18 वर्षों में वैश्विक सेवा निर्यात में भारत का योगदान दोगुना से अधिक हो गया है। वैश्विक सेवा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी वर्ष 2005 में 2% से बढ़ कर वर्ष 2023 में 4.6% हो गई, जो माल निर्यात की वृद्धि दर को पार कर गई, जबकि सेवा निर्यात में चीन की दर में 10.1% की गिरावट आई।

ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) की भूमिका

ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (Global Capability Centers- GCC) के उद्भव ने भारत की सेवा निर्यात वृद्धि में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन केंद्रों ने वैश्विक सेवा बाज़ार में भारत की प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।

सेवा क्षेत्रों में विकास के रुझान

व्यावसायिक परामर्श: व्यावसायिक परामर्श भारत के सेवा निर्यात में सबसे तेज़ी से बढ़ते खंड के रूप में उभरा है। यात्रा सेवाएं: सेवा क्षेत्रों में यात्रा सेवाओं में सबसे धीमी वृद्धि देखी गई है।
वित्तीय सेवाएं: वित्तीय सेवाओं में विशेष रूप से गुजरात, भारत में वित्तीय केंद्र गिफ्ट सिटी जैसे विकास के साथ महत्त्वपूर्ण वृद्धि देखी जा सकती है।

सेवा क्षेत्र क्या है?

सेवा क्षेत्र में ऐसे उद्योग शामिल हैं जो मूर्त वस्तुओं के अलावा अमूर्त सेवाएं प्रदान करते हैं। इसमें वित्त, बैंकिंग, बीमा, रियल एस्टेट, दूरसंचार, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, पर्यटन, आतिथ्य, सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (Business Process Outsourcing- BPO) जैसे विविध प्रकार के उद्योग शामिल हैं। सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) और सकल मूल्यवर्द्धन (Gross Value Added- GVA) में योगदान:

भारत के लिये सेवा क्षेत्र का महत्त्व

व्यापार घाटा संतुलन:

सेवा व्यापार में अधिशेष ने ऐतिहासिक रूप से माल शिपमेंट में भारत के महत्त्वपूर्ण घाटे को कम कर दिया है। इस अधिशेष का लाभ उठाकर, देश व्यापारिक निर्यात के कारण होने वाले घाटे की भरपाई कर सकता है और अधिक आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा दे सकता है।

विकास की संभावना

नए सिरे से सरकारी फोकस एवं रणनीतिक हस्तक्षेप के साथ, सेवा व्यापार अधिशेष में और वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं। यह अधिशेष, जो वित्त वर्ष 2011 में लगभग $89 बिलियन था, इसका विस्तार हो सकता है, जो भारत के आर्थिक प्रदर्शन के लिये सकारात्मक प्रक्षेपवक्र का संकेत है।

ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन

सेवा क्षेत्र भारत के मुख्य रूप से ‘असेंबली इकोनॉमी’ से ‘नॉलेज- बेस्ड इकोनॉमी’ बनने के परिवर्तन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सूचना प्रौद्योगिकी, वित्त और शिक्षा जैसी सेवाओं पर ज़ोर देकर, भारत नवाचार, बौद्धिक पूंजी एवं उच्च-मूल्य सेवाओं द्वारा संचालित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है।

रोज़गार सृजन

सेवा क्षेत्र भारत की आर्थिक वृद्धि का एक प्रमुख चालक है, जो लगभग 26 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान करता है और भारत के कुल वैश्विक निर्यात में लगभग 40% का योगदान देता है।

वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता

उच्च गुणवत्ता और लागत प्रभावी समाधानों के सेवा प्रदाता के रूप में देश की प्रतिष्ठा ने विश्व भर के व्यवसायों को आकर्षित किया है, जिससे निर्यात और विदेशी मुद्रा आय में वृद्धि हुई है।

राजस्व प्रवाह का विविधीकरण

सेवा क्षेत्र अर्थव्यवस्था के लिये प्रवाह स्रोतों का विविधीकरण प्रदान करता है, जिससे किसी एक उद्योग या बाज़ार पर निर्भरता कम हो जाती है।

जीवन स्तर में सुधार

सेवा क्षेत्र का विकास स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और वित्त जैसी आवश्यक सेवाओं तक पहुँच प्रदान करके जीवन स्तर में सुधार में योगदान देता है। यह एक मज़बूत सामाजिक बुनियादी ढाँचे के विकास की सुविधा प्रदान करता है, जिससे नागरिकों के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।

नया वार्षिक रिकॉर्ड

अतीत में देखें तो सेवा निर्यात ने समग्र निर्यात वृद्धि में अगुवाई की है और वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 26.79 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ 322.72 अरब अमरीकी डालर का एक नया वार्षिक रिकॉर्ड दर्ज हुआ था।

ऋणात्मक वृद्धि

मार्च 2023* में भारत से कुल निर्यात (वस्तुओं और सेवाओं को मिलाकर) 66.14 अरब अमरीकी डॉलर हुआ था, जो मार्च 2022 की तुलना में (-) 7.53 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि दर्शाता है। मार्च 2023* में कुल मिलाकर आयात 72.18 अरब अमरीकी डॉलर का हुआ था, जो मार्च 2022 की तुलना में (-) 7.98 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि दर्शाता है।

भारत में मांग स्थिर

जानकारी के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में भारत से समग्र निर्यात (वस्‍तुओं और सेवाओं को मिलाकर) के वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल-मार्च) की तुलना में 13.84 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाने का अनुमान है। चूंकि वैश्विक सुस्‍ती के बीच भारत में मांग स्थिर रही है, इसलिए वित्त वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में कुल आयात वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल-मार्च) की तुलना में 17.38 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाने का अनुमान था।

ऋणात्मक वृद्धि दर्शाता है

जानकारी के मुताबिक मार्च 2023* में भारत से कुल निर्यात (वस्तुओं और सेवाओं को मिलाकर) 66.14 अरब अमेरिकी डॉलर का होने का अनुमान है, जो कि मार्च 2022 की तुलना में (-) 7.53 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि को दर्शाता है। मार्च 2023* में कुल मिला कर आयात 72.18 अरब अमरीकी डॉलर का होने का अनुमान था, जो मार्च 2022 की तुलना में (-) 7.98 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि दर्शाता है।

सकारात्मक वृद्धि

जानकारी के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में भारत से समग्र निर्यात (वस्‍तुओं और सेवाओं को मिलाकर) के वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल-मार्च) की तुलना में 13.84 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाई गई । चूंकि वैश्विक सुस्‍ती के बीच भारत में मांग स्थिर रही है, इसलिए वित्त वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में कुल आयात वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल-मार्च) की तुलना में 17.38 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाने का अनुमान था। जबकि व्‍यापक प्रतिकूल वैश्विक हालात के बावजूद वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल-मार्च) की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) के दौरान भारत से कुल निर्यात 13.84 प्रतिशत बढ़ा है।

धनात्मक वृद्धि दर्शाई

जानकारी के मुताबिक वस्‍तु निर्यात के तहत 30 प्रमुख क्षेत्रों में से 13 क्षेत्रों ने मार्च 2023 में पिछले वर्ष की इसी अवधि (मार्च 2022) की तुलना में धनात्मक वृद्धि दर्शाई। इनमें तेल खली (156.56%), तिलहन (99.5%), इलेक्ट्रॉनिक सामान (57.36%), कॉफी (17.86%), समुद्री उत्पाद (12.85%), फल और सब्जियां (11.37%), चावल (10.02%), सिरेमिक उत्पाद और ग्लासवेयर (9.73%), लौह अयस्क (6.85%), ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स (4.19%), मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पाद (3.44%), तंबाकू (3.04%), और दलिया व विविध प्रसंस्कृत आइटम (2.7 %) शामिल हैं।

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