एसीएस सेंट्रल साइंस जर्नल में प्रकाशित
दरअसल अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक
नई तकनीक विकसित की है, जिससे काले प्लास्टिक को सूर्य की रोशनी या सफेद एलईडी लाइट्स के संपर्क में लाकर रीसायकल किया जा सकेगा। सामान्यत: काले प्लास्टिक को रीसायकल करना मुश्किल होता है, क्योंकि काले रंग के कारण इन्फ्रारेड सेंसर इन्हें पहचान नहीं पाते। इस नई तकनीक में काले और रंगीन पॉलीस्टायरीन प्लास्टिक में एक विशेष एडिटिव मिलाया जाता है, जो सूर्य की रोशनी (Sunlight) या एलईडी लाइट्स के संपर्क में आकर इन प्लास्टिक्स को तोड़ कर फिर से उपयोग में लाने योग्य बना देता है। यह तरीका न केवल काले प्लास्टिक को रीसायकल करने में मदद करेगा, बल्कि यह समय की बचत और लागत में भी कमी लाएगा। यह शोध एसीएस सेंट्रल
साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है, और इसका उद्देश्य प्रदूषण कम करना है।
ऐसे काम करती है तकनीक
काले और रंगीन पॉलीस्टायरीन को सूर्य की रोशनी या सफेद एलईडी लाइट्स के संपर्क में लाया जाता है। साथ ही, इन प्लास्टिक में एक विशेष प्रकार का एडिटिव मिलाया जाता है। इस एडिटिव की मदद से, सूर्य की रोशनी या एलईडी लाइट्स, प्लास्टिक को तोड़ कर उसे फिर से इस्तेमाल होने योग्य सामग्री में बदल देती हैं। यह नया तरीका न केवल समय की बचत करता है, बल्कि लागत प्रभावी भी है।