बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्ता-पलट के बाद से लगातार हालात बिगड़ते जा रहे हैं। नोबेल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार भी अराजकता पर काबू पाने में सफल नहीं हो पा रही है। देश में भीड़तंत्र हावी है। पुलिसकर्मियों की हड़ताल से स्थिति और खराब हो गई है। प्रदर्शनकारी छात्र मनमाने फैसले लागू करवा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस ले लिए गए हैं। दो स्थानों पर जेल तोड़ने की सूचना है, जिसके बाद मची भगदड़ में 12 कैदी मारे गए हैं। बांग्लादेश में बसी अल्पसंख्यक आबादी के खिलाफ हो रही हिंसक घटनाओं के विरोध में शनिवार को संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में हिंदुओं ने धरना-प्रदर्शन किया। यूनुस ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को जघन्य बताया और छात्रों से हिंदू-बौद्ध-ईसाई समुदायों के लोगों की रक्षा करने का आह्वान किया है।
बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश ने भी दिया इस्तीफा हिंसक भीड़ ने शेख हसीना की तरह ही बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश ओबैदुल हसन को भी शनिवार को इस्तीफा देने के लिए बाध्य कर दिया। उन्होंने कानून मंत्रालय को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिसे मंजूर कर लिया गया। मुख्य न्यायाधीश के साथ सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय प्रभाग के पांच न्यायाधीश ने भी इस्तीफा दे दिया। इससे पहले, अंतरिम सरकार के निर्देशों की परवाह न करते हुए भीड़ ने सुप्रीम कोर्ट का घेराव किया और मुख्य न्यायाधीश सहित अन्य जजों को दोपहर एक बजे तक इस्तीफा देने का अल्टीमेटम दे दिया। बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक के गवर्नर अब्दुल रऊफ तालुकदार ने भी वित्त मंत्रालय को अपना इस्तीफा दे दिया है। हालांकि आर्थिक अराजकता की आशंका के मद्देनजर उनका इस्तीफा फिलहाल मंजूर नहीं किया गया है।
यूनुस को खुला पत्रः ‘सांप्रदायिक सद्भाव बहाल करें’ यूनिटी काउंसिल के अध्यक्ष निर्मल रोसारियो ने कहा, ‘हम सुरक्षा चाहते हैं क्योंकि हमारा जीवन विनाशकारी स्थिति में है। हम रात में जागकर अपने घरों और धार्मिक स्थलों की रखवाली कर रहे हैं। मैंने अपने जीवन में ऐसी घटनाएं कभी नहीं देखी हैं। हम मांग करते हैं कि सरकार देश में सांप्रदायिक सद्भाव बहाल करे।’ अंतरिम सरकार के मुखिया यूनुस को एक खुला पत्र भेजा गया है। इसमें ओइक्या परिषद ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ अभूतपूर्व हिंसा पर चिंता व्यक्त की है। बांग्लादेश हिंदू-बौद्ध-ईसाई ओइक्या परिषद ने कहा कि हसीना के देश छोड़ने के बाद से 232 लोग मारे गए हैं। बांग्लादेश के 52 जिलों में अल्पसंख्यक समुदायों के उत्पीड़न की 205 घटनाएं दर्ज की गई है। वास्तव में ऐसी घटनाओं की संख्या तो और ज्यादा है।
हसीना ने इस्तीफा नहीं दियाः साजीब इस बीच, अपदस्थ प्रधानमंत्री हसीना के पुत्र साजीब वाजेद ने यह दावा किया कि हसीना ने औपचारिक रूप से इस्तीफा नहीं दिया है। लिहाजा वह अब भी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि देश छोड़ने से पहले हसीना को इस्तीफा देने का मौका नहीं मिला, क्योंकि हिंसक भीड़ प्रधानमंत्री आवास की तरफ बढ़ रही थी।
चुनौती बढ़ीः बीएसएफ चौकस बांग्लादेश सीमा पर भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को कड़ी निगरानी करनी पड़ रही है। न सिर्फ आयात-निर्यात रोक दिया गया है बल्कि, आवागमन भी सोमवार से पूरी तरह ठप है। बांग्लादेश में बड़ी संख्या में लोग भारत में घुसपैठ करने की ताक में हैं। असम के चार जिलों कछार, करीमगंज, धुबरी और दक्षिण सालमारा में स्थिति ज्यादा नाजुक है। पश्चिम बंगाल सीमा पर भी कड़ी चौकसी बरती जा रही है।
टी-20 विश्वकपः सेना से मांगी मदद महिला टी-20 विश्वकप आयोजन के लिए बांग्लादेश क्रिकेट एसोसिएशन ( बीडीसीए) ने सेना से मांगी मदद है। बीडीसीए ने इसके लिए चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बकर-उज-जमान को पत्र लिखा है। इस टूर्नामेंट के लिए 27 सितंबर से अभ्यास मैच शुरू होने वाला है। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल भी हालत पर नजर बनाए हुई है। टूर्नामेंट कराने के विकल्पों को तलाशा जा रहा है।