मंगलवार को करीब 16 श्रीलंकाई शरणार्थियों भारतीय तट पर पहुंचे जिनमें से 6 लोगों के एक दल को रामेश्वरम के तट से भारतीय तटरक्षक बल ने बचाया। ये लोग एक टापू अरिचल मुनाई से दूर फोर्थ आइलैंड पर फंस गए थे। इन शरणार्थियों में 3 बच्चे भी शामिल थे। वहीं 10 श्रीलंकाई शरणार्थियों देर रात भारत पहुंचा था। अनुमान लगाया जा रहा है कि 2 हजार से अधिक शरणार्थी भारत आ सकते हैं।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, श्रीलंका अब तक के सबसे गहरे खाद्य संकट से जूझ रहा है। यहां दूध की भारी किल्लत हो गई है जिस वजह से इसकी कीमतों में असामान्य रूप से बढ़ोतरी हुई है। यहां लोगों को एक किलो दूध के लिए करीब 2 हजार रुपए देने पड़ रहे हैं जबकि 400 ग्राम दूध के लिए 790 रुपए देने पड़ रहे हैं। यहां चावल की कीमत 500 श्रीलंकाई रुपए प्रति किलो पहुंच गई है जबकि एक किलो चीनी की कीमत 290 रुपये तक पहुंच गई है।
श्रीलंका की इस हालत के पीछे कई कारण हैं जिनमें से एक विदेशी मुद्रा भंडार का कम होना सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। दरअसल, तीन साल पहले जहां श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 7.5 अरब डॉलर था जो घटकर कर पिछले साल नवंबर में 1.58 अरब डॉलर हो गया। विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण श्रीलंका चीन, जापान, भारत और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का कर्ज भी नहीं चुका पा रहा है।
श्रीलंका पेट्रोलियम उत्पादों, दवाइयों जैसी जरूरतों के लिए विदेशी आयात पर निर्भर है,लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण वो आयात कर पाने में सक्षम नहीं है। यही कारण है कि यहां स्थिति दिनों दिन बिगड़ती जा रही है।
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