GAS बैक्टीरिया की वजह से ये STSS बीमारी
जापान ने इस बीमारी का नाम स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम यानी (STSS) दिया है। वहीं जिस बैक्टीरिया की वजह से ये वायरस फैल रहा है उसे ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस (GAS) का नाम दिया गया है। ये बीमारी ये बीमारी बच्चों और बुजुर्गों में तेजी से फैलती है। जापान के साइंटिस्ट के मुताबिक इस वायरस का केस पहली बार जापान में आया है। ये कैसे आया है और कहां से ये पैदा हुआ है इस पर रिसर्च जारी है।
कैसे करता अटैक?
जापान (Japan) की एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक अगर कोई शख्स इस बैक्टीरिया (GAS) के संपर्क में आ गया है तो ये उस इंसान के शरीर में सबसे पहले एक जहरीला पदार्थ पैदा करता है। जिससे शख्स को जलन और खुजली होने लगती है। फिर ये बैक्टीरिया सीधे इंसान के ऊतक यानी टिश्यू (Tissue) पर अटैक करता है जिससे इससे शरीर में सूजन बढ़ने लगती है, सूजन बढ़ने का मतलब है कि ये बैक्टीरिया अब उस इंसान के मांस को खाने लगा है। अगर समय पर इसका इलाज नहीं लिया गया तो दो दिनों के भीतर यानी 48 घंटे में मरीज की इस बीमारी से (STSS) मौत हो जाती है। विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि अगर किसी शख्स को चोट लगी है और उसके घाव खुले हैं तो ये आसानी से आपको अपनी चपेट में ले सकता है। साथ ही गंदगी वाली जगहों पर भी आपके जाने से आप इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। चिंता करने वाली बात ये है कि अगर ये वायरस इंसान के शरीर में प्रवेश कर गया तो वो शरीर के अंगों को खराब भी कर सकता है यानी भविष्य में पीड़ित के शरीर का वो हिस्सा काम भी नहीं कर सकता है।
क्या हैं लक्षण?
अगर ये बैक्टीरिया किसी इंसान के शरीर में प्रवेश कर गया है तो उसे बुखार, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, गले में खराश, गले में दर्द और खुजली, लिंफ नोड्स यानी गले की छोटी-छोटी ग्रंथियों में सूजन, जीभ के भीतरी हिससे के ऊपर लाल और सफेद रंग के धब्बे पड़ने लग जाते हैं। ये भी पढ़ें-
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अगर कोई शख्स इस बीमारी से पीड़ित है तो उसके लक्षण देखकर तुरंत उसे डॉक्टर के पास ले जाएं। इस बीमारी से निपटने के लिए J8 नाम की वैक्सीन है जिसे पीड़ित को लगाई जाती है। जिससे धीरे-धीरे आराम मिलना शुरू हो जाता है बशर्ते अगर मरीज ने लक्षण दिखने के तुरंत बाद इलाज लिया है तो..इससे मरीज बचने की उम्मीद बढ़ जाती है।
कैसे बचें?
जापान में STSS के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और ये यूरोप के 4-5 देशों में भी फैल रहा है इसलिए भारत समेत पूरी दुनिया चिंता में पड़ गई है कि क्या यहां भी ऐसा कुछ हो सकता है। तो इसका जवाब है कि हां, ऐसा हो सकता है क्योंकि कोरोना की तरह ही ये बीमारी भी अंतर्राष्ट्रीय यात्रा के जरिए एक देश से दूसरे देश में फैल रही है। भारत में भी जापान समेत यूरोप से लोग आते हैं। हालांकि अभी भारत में ऐसा कोई केस आया नहीं है लेकिन इस खतरनाक बीमारी से बचने के लिए लोगों को कुछ बातों का ध्यान देना होगा। 1- कोरोना काल में उठाए गए कदमों को फॉलो करें। 2- नियमित तौर पर अपने हाथ साबुन और पानी से धोएं। 3- किसी भी खुले घाव की देखभाल करें, उन्हें एंटीसेप्टिक दवा से साफ करें। साथ ही उन्हें पट्टियों या किसी साफ कपड़े से ढक कर रखें।
4- हो सके तो भीड़भाड़ वाले इलाके और गंदगी वाले इलाकों में जाने से बचें और अगर जाना हो तो मुंह पर मास्क लगाकर जाएं। 5- बीमार लोगों से दूर रहें, साथ ही उनसे भी जो बाहर के देशों से या हवाई यात्रा करके आए हैं।
6- अपने निजी सामानों जैसे तौलिया, कपड़े, या अपने बर्तन तक दूसरे से शेयर ना करें। साथ ही उन्हें हमेशा साफ रखेें और दोबारा इस्तेमाल करने से पहले उन्हें अच्छी तरह साफ करें। ये भी पढ़ें-
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