90 अरब डॉलर का घाटा
पाकिस्तान मीडिया में कहा गया है कि, साल 2010 से ही पाकिस्तान ने चीन के साथ जो व्यापार किया है उसमें घाटा करीब 90 अरब डॉलर का रहा है। इसका मतलब यह है कि 90 अरब डॉलर की पूंजी जो दूसरे रास्ते से देश में आने वाली थी उसे वस्तुओं और सेवाओं के एवज में पाकिस्तान से चीन की ओर भेज दिया गया। जबकि अमरीका के साथ, इसी अवधि में, पाकिस्तान ने 34 अरब डॉलर व्यापार अधिशेष कमाया। बिटेन के साथ 12 अरब डॉलर का अधिशेष कमाया। अब पाकिस्तान के अर्थशास्त्री ही कह रहे हैं कि पाकिस्तान ने हमेशा अमरीका, ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन की अर्थव्यवस्थाओं की मदद से कमाई की। फिर इस कमाई को मुख्य रूप से चीन और खाड़ी के तेल उत्पादक देशों की अर्थव्यवस्थाओं में खर्च किया है। इतना ही नहीं, इसके बाद जो घाटे की अर्थव्यवस्था का दुष्चक्र शुरू हुआ, उसमें भी चीन ने पाकिस्तान को कड़ी शर्तों पर कर्ज देकर कर्ज के मकड़जाल में उलझा दिया है, जिसमें फंसकर पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर आ गया है।
70.3 अरब डॉलर का कर्ज
अमरीका स्थित इंटरनेशनल डेवलपमेंट रिसर्च लैब एडडाटा की हाल में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने चीन से 70.3 बिलियन डॉलर ले रखे हैं। इसका एक बड़ा हिस्सा कर्ज के रूप में लिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2000 और 2021 के बीच पाकिस्तान में चीन के पोर्टफोलियो में केवल 2 फीसदी अनुदान शामिल था, जबकि बाकी 98 फीसदी ऋण के रूप में था। रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने दुनिया भर के देशों को जो कर्ज दिया है उसमें तीसरा सबसे बड़ा कर्जदार देश पाकिस्तान ही है। चीन के कर्जदार देशों की सूची में वेनेजुएला पहले और रूस दूसरे स्थान पर हैं।
बीआरआइ के बाद सब कुछ गंवाया
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013 में बीआरआइ शुरू होने के बाद की अवधि में चीन ने पाकिस्तान को कर्ज के रूप में 56 अरब डॉलर दिए। इनमें से 16 अरब डॉलर बजट समर्थन के लिए थे। बीआरआइ से पहले साल 2000 से 2012 तक बजट समर्थन क्रेडिट 4.6 अरब डॉलर था। व्यापार घाटा बढ़ने पर चीन ने पाकिस्तान को बजट सहायता के लिए और ज्यादा कर्ज देना शुरू कर दिया। इन क्रेडिट का मकसद यही था कि पाकिस्तान उसके खेल का हिस्सा बना रहे। इसलिए पाकिस्तान हर गुजरते साल के साथ चीन के हाथों अपना सब कुछ गंवाता गया।
भारत से सीखने की जरूरत
पाक मीडिया में कहा गया है कि चीन के साथ भारत को भी घाटा हुआ है लेकिन भारत ने लगातार चीन के साथ अपने व्यापार हितों की रक्षा के लिए काम किया है। उदाहरण के लिए भारत ने चीन की जगह दक्षिण पूर्व एशिया में दूसरे देशों के साथ द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते को आगे बढ़ाया है। वहीं, पाकिस्तान है जिसने न केवल चीन के साथ इस घाटे वाले रिश्ते को और गहरा किया बल्कि चीनी ऋण पर निर्भरता भी बढ़ा दी है।
कंगालीः लेमिनेशन पेपर नहीं होने से नहीं बन रहा पासपोर्ट
पाकिस्तान इन दिनों कैसी कंगाली से गुजर रहा है इसका अंदाजा इससे लग सकता है कि पाकिस्तान में लेमिनेशन पेपर की कमी की वजह से लोगों को पासपोर्ट मिलने में संकट का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान पासपोर्ट में उपयोग होने वाला लेमिनेशन पेपर फ्रांस से आयात करता है। टाइम्स ऑफ कराची में दावा किया गया है कि पाकिस्तान में लगभग 7 लाख बिना मुद्रित पासपोर्ट का बैकलॉग है, और एक बार लेमिनेशन पेपर मिल जाने के बाद, खोए हुए समय की भरपाई के लिए सप्ताहांत पर भी छपाई जारी रहेगी। इस स्थिति ने उन हजारों पाकिस्तानी नागरिकों का भविष्य खतरे में डाल दिया है जिनकी पढ़ाई, काम या आराम के लिए विदेश यात्रा करने की योजना थी।