यूरोपियन सेंटर फॉर डिसीज की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, बेल्जियम, बुल्गारिया, क्रोएशिया, चेक रिपब्लिक, इस्टोनिया, ग्रीस, हंगरी, नीदरलैंड, पौलेंड और स्लोवेनिया में स्थिति बेहद खराब है।
-
नीदरलैंड में 3 सप्ताह के आंशिक लॉकडाउन के दौरान बार और रेस्टोरेंट अब जल्दी बंद होंगे। साथ ही खेलकूद से जुड़े आयोजन बिना दर्शकों के आयोजित होंगे। पश्चिम यूरोप में गर्मियों के बाद यह पहली बार होगा जब लॉकडाउन लगेगा।जर्मनी में शनिवार से कोरोना टेस्ट फिर से शुरू किए जाएंगे। इसके लिए जर्मनी में कानूनी ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है जिसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर फेस मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग अनिवार्य होगी, जो कि मार्च तक जारी रहेगी।
वहीं, ऑस्ट्रिया सरकार रविवार को उन लोगों पर लॉकडाउन लागू कर सकती है जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है। लातविया में वैक्सीनेशन की रफ्तार को बढ़ाने की कोशिश जारी है। सेंट्रल और ईस्टर्न यूरोपियन सरकारों ने इसे लेकर बड़े स्तर पर एक्शन लिया है। लातविया, यूरोपियन यूनियन का वह देश है जहां टीकाकरण की दर बेहद कम है। यहां अक्टूबर में 4 सप्ताह का लॉकडाउन लगाया गया है।
इसके अलावा, चेक रिपब्लिक, स्लोवाकिया और रशिया में भी कोरोना महामारी को लेकर प्रतिबंध कड़े कर दिए गए हैं। नॉर्वे में सरकार ने यह घोषणा की है कि कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों की रोकथाम के लिए पूरे देश में नियम और प्रतिबंधों को लागू किया जाएगा। इनमें हेल्थ पास भी शामिल होंगे। इससे पहले नॉर्वे में सितंबर के अंत में महामारी से जुड़े सभी प्रतिबंधों को हटा लिया गया था। अब यहां 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन का तीसरा डोज देने का प्रस्ताव रखा जाएगा। आइसलैंड आइसलैंड में पिछले सप्ताह कोरोना के रिकॉर्ड मामले सामने आने के बाद कोरोना नियमों को कड़ा कर दिया गया है। यहां एक महीने में दूसरी बार प्रतिबंध बढ़ाए गए हैं।
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच वायरोलॉजिस्ट का कहना है कि केवल अकेले वैक्सीन की मदद से लंबे समय के लिए कोविड महामारी से नहीं लड़ा जा सकता है। इटली यूनिवर्सिटी ऑफ पाडुआ में इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर, एंटोनेला विलोआ ने कहा कि, महामारी की इस स्थिति में उदाहरण के तौर पर इजराइल से काफी कुछ सीखने की जरूरत है इनमें टीकाकरण के अलावा सार्वजनिक स्थानों पर सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और वैक्सीन को अनिवार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर इसमें से किसी 2 बातों का अभाव रहा तो, हालात काफी बिगड़ सकते हैं जैसा कि हम यूरोपियन देशों में अभी देख रहे हैं।
-
वैश्विक स्तर पर यूरोप में 7 दिनों के अंदर कोरोना के मामले बढ़े हैं और मौत के आंकड़ों में बढ़ोत्तरी हुई है। दक्षिण यूरोप में टीकाकरण की दर 80 फीसदी रही है जबकि मध्य और पूर्वी यूरोप व रशिया में वैक्सीन पर संदेह को लेकर वैक्सीनेशन की दर प्रभावित हुई है। जिसकी वजह से स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ा है। इसके अलावा कमजोर इम्युनिटी और प्रतिबंधों में छूट दिए जाने की वजह से भी हालात बिगड़े हैं।