मौलिक अधिकार और यूरोपीय कानूनों की करनी होगी पालना
यूरोप के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अधिनियम में एक बड़ा प्रस्ताव ये भी शामिल किया गया है कि एआइ के जनरेटिव मॉडल्स को यूरोपियन यूनियन के कानून, मौलिक अधिकारों तथा अभिव्यक्ति के अधिकार की भी पालना करना होगी। भेदभाव परक और अधिकारों के उल्लंघन वाले कंटेंट पर लगाम लगाना होगा।
नई इमेज को दिया जाएगा उचित लेबल
वेस्टागेर ने स्पष्ट किया कि नया एआइ अधिनियम मुख्य रूप से डाटा गुणवत्ता, पारदर्शिता, मनुष्य का नियंत्रण और जवाबदेही जैसे मुद्दों पर केंद्रित होगा। साथ ही ये विभिन्न सेक्टर्स जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्त तथा ऊर्जा में नैतिकता के मुद्दों और अमल की चुनौतियों जैसी मुद्दों को भी संबोधित करेगा। उदाहरण के लिए, एआइ द्वारा बनाई गईं छवियों/इमेज को नाम दिए जाने का मुद्धा भी एक है।
जोखिम का वर्गीकरण कानून का मुख्य केंद्र
यूरोपीय यूनियन के नए एआइ कानून का सबसे अहम पक्ष है इसकी एआइ को जोखिम में वर्गीकृत करने की प्रणाली। इसके अंतर्गत हर प्रकार की एआइ तकनीक से मानव सेहत, सुरक्षा और मौलिक अधिकारों को जुड़े खतरे को ध्यान में रखते हुए उसे चार जोखिम श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाएगा। ये जोखिम की श्रेणियां हैं – अस्वीकार्य, उच्च, सीमित और न्यूनतम।
एआइ पर लगेगी कॉपीराइट की लगाम
यूरोपीयिन यूनियन के प्रस्तावित कानून में ये प्रावधान है कि चैटजीपीटी जैसे एआइ प्लेटफॉर्म को कोई भी कंटेंट जनरेट करते समय इस तथ्य को जाहिर करना होगा कि उसने इस प्रक्रिया में किसी कॉपीराइट वाले कंटेंट का उपयोग तो नहीं किया। एआइ को रेगुलेट करने वाले इस पहले कानून में इस प्रावधान के आने से एआइ पर एक बड़ा अंकुश लग सकता है।
नए नियमों के लिए तैयार हो जाए इंडस्ट्री
यूरोपीय संघ का एआई एक्ट इस साल पारित हो जाने की संभावना है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इन नियमों को लागू होने में कई साल तक लग सकते हैं। हालांकि वेस्टागेर ने कहा कि उद्योगों को नए नियमों के लिए तैयार हो जाना चाहिए।
वेस्टोगेर के अनुसार,इस बात में किसी तरह की कोई दुविधा नहीं होनी चाहिए कि जहां-जहां भी एआई का व्यापक प्रभाव है, वहां बदलाव के लिए विमर्श शुरू कर देना चाहिए और इस बात का इंतजार नहीं करना चाहिए कि कानून पारित होंगे और फिर लागू किए जाएंगे।