50 हजार इमारतों में पड़ी थी दरार
भूकंप इतना जोरदार था कि बिहार की राजधानी पटना में राजभवन और पुराने सचिवालय समेत 50 हजार इमारतों में दरारें पड़ गई थी। देश की राजधानी दिल्ली से लेकर पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश तक भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। साल 1934 के बाद ये नेपाल में आया सबसे शक्तिशाली भूकंप था। प्रत्यक्षदर्शी आज भी उस मंजर को याद कर कांप उठते हैं। प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि कैसे धरती 10 सेकंड और 15 सेकंड के अंतराल पर दो बार कांपी, कैसे पल भर में ही हंसता खेलता परिवार उजड़ गया और कैसे कई घर मलबे में तब्दील हो गए। वैसे नेपाल में लगभग हर दशक में ऐसी अनहोनी होती आई है।
नेपाल में टकराती हैं इंडो-ऑस्ट्रेलियन और यूरेशियन प्लेट
नेपाल की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि भूकंप का डर बना ही रहता है। इंडो-ऑस्ट्रेलियन और यूरेशियन प्लेट के बीच में नेपाल की लोकेशन है। जब ये दोनों प्लेट टकराती हैं तो नेपाल में भूकंप के झटके आते हैं, इन्हें रोकना नामुमकिन सा है। वैसे तो जापान में नेपाल से ज्यादा भूकंप आते हैं। लेकिन, नेपाल का इन्फ्रास्ट्रक्चर और भूकंप से निपटने के लिए तैयारी तुलनात्मक रूप से काफी कम है, ऐसे में नेपाल में नुकसान भी ज्यादा होता है। 2015 में भी 7.9 की तीव्रता का विनाशकारी भूकंप आया था। इसमें भी सैकड़ों जिंदगियां उजड़ गई थीं। तब धरहरा टॉवर और दरबार स्क्वायर जैसी कई धरोहरों को काफी नुकसान भी पहुंचा था। विशेषज्ञों के मुताबिक इसका खतरा पहले भी था और अब भी बना हुआ है।