ईरान (Iran) के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी (Ebrahim Raisi) की मौत के बाद भारत (India) के पीएम नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का त्वरित शोक व्यक्त करना यह बताता है कि भारत के साथ रायसी के अच्छे संबंध थे। राष्ट्रपति रायसी के कार्यकाल में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध लगातार बेहतर हुए हैं और कारोबार भी बढ़ा है। उनके नेतृत्व में पश्चिम एशिया में भारत को ईरान के रूप में एक मज़बूत साझेदार देश मिला था।
अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद बढ़ा कारोबारअमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद रायसी के नेतृत्व में भारत और ईरान के बीच कारोबार तो बढ़ा ही, साथ ही दोनों देशो के बीच साझेदारी भी बढ़ी। हाल में हुआ चाबहार बंदरगाह समझौता इसका प्रमाण है कि उनके नेतृत्व में भारत की पश्चिम एशिया में उपस्थिति लगातार मजबूत हो रही थी। साथ ही पाकिस्तान की अफगानिस्तान में भूमिका को भारत ने ईरान के ज़रिए संतुलित किया। रायसी के दौर में ईरान ने लगातार लुक ईस्ट की विदेश नीति अपनाई, जिसके अंतर्गत ईरान ने लगातार भारत समेत एशियाई ताकतों से संबंध मज़बूत किए। उनके शासन काल में चाबहार के अलावा भारत इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर को भी अमली जामा पहनाने की दिशा में आगे बढ़ा है।
रायसी के कार्यकाल शुरू होने के साथ बढ़ी दोस्तीईरान के राष्ट्रपति के रूप में रायसी ने जब अगस्त 2021 में शपथ ली तो भारत उन चुनिंदा देशों में था, जिसे शपथ समारोह में आमंत्रित किया गया था। ऐसे में उनके कार्यकाल के शुरू होने के साथ ही दोनों देशों की दोस्ती बढ़ गई थी।
भारत ने किया था ब्रिक्स सदस्यता का समर्थनरायसी के साथ भारत के पीएम मोदी की आखिरी मुलाकात अगस्त 2023 में जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले हुई थी। भारत ने ब्रिक्स में शामिल होने के लिए ईरान की दावेदारी का समर्थन किया था, जिसके चलते ईरान सितंबर 2023 में दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल हुआ और अब जनवरी 2024 से इसका सदस्य बन चुका है।
21% बढ़ा कारोबार2021 में रायसी के ईरान के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद के वर्षों में दोनों देशों के द्विपक्षीय कारोबारी संबंधों में सुधार हुआ है। 2022-23 में भारत-ईरान का द्विपक्षीय व्यापार 21.77% बढ़कर 2.33 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। जबकि 2021-22 में भारत और ईरान के बीच 1.94 अरब डॉलर का कारोबार हुआ था। फिलहाल ईरान भारत का 59वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
नहीं बदलेगी विदेश नीतिजानकारों के अनुसार रायसी की मौत के बाद ईरान के भारत समेत अन्य देशों के साथ संबंध पहले की तरह ही रहने की संभावना है, क्योंकि देश में नीतियों पर कोई भी फैसला पहले की तरह सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ही लेंगे। हालांकि रायसी की मौत की वजह से निर्णय प्रक्रिया में कुछ व्यवधान और विलंब आ सकता है।
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