राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-चीन समेत 11 देशों को दी धमकी, जानें किस मुद्दे पर मचा है बवाल
Donald Trump on BRICS: ट्रंप ने वैश्विक व्यापार में डॉलर के इस्तेमाल में आई कमी का जिक्र करते हुए कहा कि अगर ब्रिक्स देश डॉलर को कमजोर करते हुए अपनी नई मुद्रा जारी करने के बारे में सोचते भी हैं तो उन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगेगा।
Donald Trump on BRICS: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जैसे ही अपना कार्यभार संभाला है, वैसे ही वे अपने फैसलों से पूरी दुनिया को चौंका रहे हैं। लेकिन अब डोनाल्ड ट्रंप ने जो फैसला लेने के संकेत दिए हैं, उससे अब अमेरिका के भारत से रिश्ते बिगड़ सकते हैं। दरअसल डोनाल्ड ट्रंप ने BRICS देशों को धमकी दी है कि अगर वे डॉलर की जगह अपनी नई मुद्रा जारी करेंगे तो सभी सदस्य देशों को इसका अंजाम भुगतना होगा। इन देशों पर सभी आयातों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा।
नई मुद्रा जारी करने के बारे में सोचा भी तो लगेगा टैक्स
दरअसल व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस (अमेरिकी राष्ट्रपति का कार्यालय) में अपने हस्ताक्षर समारोह के दौरान मीडिया से बात करते हुए ट्रंप ने वैश्विक व्यापार में डॉलर के इस्तेमाल में आई कमी का जिक्र करते हुए कहा कि अगर ब्रिक्स देश डॉलर को कमजोर करते हुए अपनी नई मुद्रा जारी करने के बारे में सोचते भी हैं तो उन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगेगा जिससे वे इस सोच को ही तुरंत छोड़ देंगे।
ट्रंप ने ये भी कहा कि उनके इस बयान को BRICS धमकी के रूप में नहीं बल्कि इस मुद्दे पर उनके साफ रुख के तौर पर देखा जाना चाहिए। ट्रंप ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी संकेत दिया था कि अमेरिका ब्रिक्स देशों के दबाव में हैं। ट्रंप ने कहा कि अगर BRICS अपनी व्यापार मुद्रा जारी करते हैं और उससे व्यापार करते है तो ठीक है, फिर वे अमेरिका के साथ इन देशों के व्यापार पर कम से कम 100 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे।
ब्रिक्स देशों ने लिया था फैसला
दरअसल साल 2023 में 15वें ब्रिक्स सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन (Vladimir Putin) ने डी-डॉलरीकरण (डॉलर के मूल्य को कम करने का प्रयास) का आह्वान करते हुए कहा था कि ब्रिक्स देशों को आपस में सहयोग बढ़ाते हुए अपनी एक नई मुद्रा जारी करनी चाहिए और उसी में व्यापार करना चाहिए। पुतिन के इस प्रस्ताव को भारत समेत सभी देशों ने सहमति जताई थी। इसके बाद 2024 में रूस (Russia) के कजान में हुई बैठक में भी इसे दोहराया गया।
भारत का क्या है रुख
कजान में 2024 में हुए इस सम्मेलन में पीएम मोदी (Narendra Modi) ने कहा था कि भारत ब्रिक्स देशों के बीच वित्तीय एकीकरण बढ़ाने के लिए की जा रही कोशिशों का स्वागत करता है। ये स्थानीय मुद्राओं में व्यापार और सुचारू सीमा पार भुगतान BRICS देशों के आर्थिक सहयोग को मजबूत करेगा।
वहीं नवंबर 2024 में विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने भी मुंबई में भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की बैठक में कहा था कि राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार का पारस्परिक निपटान बहुत ज्यादा जरूरी है। खासतौर पर वर्तमान हालातों को देखते हुए, इसके अलावा कई और मंचों पर एस जयशंकर ने ये साफ करने की कोशिश की है कि ब्रिक्स देशों की नई मुद्रा इसलिए नहीं लाई जा रही कि वे अमेरिका के डॉलर को कमजोर बनाना चाहते हैं, बल्कि इसलिए कि ये देश सहूलियत से व्यापार कर सकें।
एस जयशंकर ने कहा था कि अमेरिकी नीतियां कुछ देशों से व्यापार को बहुत कठिन बना देती हैं इसलिए भारत ने अपने व्यापार हितों को ध्यान में रखते हुए बस इस तरह के एक समाधान की खोज की है। क्योंकि BRICS के कई ऐसे देश हैं जिनके पास लेन-देन के लिए डॉलर नहीं होता है।
अभी ब्रिक्स देश किसी अंतिम नतीजे पर नहीं
दरअसल ब्रिक्स मुद्रा को जारी करने पर अभी ये संगठन अपने आखिरी फैसले पर नहीं पहुंचा है। इसका सबसे बड़ा कारण खुद का रूस का चीनी मुद्रा में व्यापार करना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्तमान में चीनी मुद्रा युआन रूस में सबसे ज्यादा व्यापार करने वाली मुद्रा बन गई है। वहां पर 90 प्रतिशत व्यापार रूबल (रूस की मुद्रा) में हो रहा है।