ट्रंप और पुतिन की जुगलबंदी!
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चुनाव में जीत के बाद ट्रंप की तारीफ कर अंतरराष्ट्रीय राजनीति के करवट लेने की संभावनाओं को बल दे दिया है। इस बीच, ट्रंप की जीत के हीरो और दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति एलन मस्क ने भारत के लिए सिरदर्द बने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बारे में यह कहकर सनसनी फैला दी कि वह अगले साल होने वाले चुनाव में निपट जाएंगे। कनाडा में मौजूद खालिस्तानी आतंकियों और उनके समर्थक भी बदली स्थितियों से चिंतित हैं और एकजुटता का आह्वान कर रहे हैं।
पुतिन ने ट्रंप को बताया साहसी
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने राष्ट्रपति चुने जाने पर डॉनल्ड ट्रंप को न सिर्फ बधाई दी बल्कि, उनकी तारीफ करते हुए कहा, ‘ट्रंप पर जब जानलेवा हमला हुआ तब उनके व्यवहार से मैं काफी प्रभावित था। ट्रंप एक साहसी व्यक्ति के रूप में उभरे। ट्रंप ने हमले के बाद खुद को बिल्कुल सही रास्ते पर रखा। ट्रंप अगर रूस के साथ संबंध बहाल करने और यूक्रेन संकट को खत्म करने में मदद करने की बात कर रहे हैं तो मेरे विचार से यह ध्यान देने लायक है।’ अमरीका में ट्रंप पर पुतिन की मदद लेने के आरोप लगते रहे हैं। मीडिया में ऐसी खबरें हैं कि ट्रंप इस चुनाव के दौरान भी पुतिन से बात करते रहे हैं।
अमरीकी निर्भरता खत्म करनी होगी- EU
माना जा रहा है कि ट्रंप का आगमन पुतिन के लिए एक मौके की तरह है। ट्रंप नाटो को अमरीका के लिए आर्थिक बोझ मानते हैं। पुतिन भी नाटो से चिढ़े बैठे हैं। बदली हुई परिस्थिति से असहज 50 यूरोपीय देशों ने शुक्रवार बूडापेस्ट में बैठक कर कहा कि यूरोप को अमरीका पर निर्भरता खत्म करनी होगी। ट्रंप अमरीकी हितों की रक्षा के लिए चुने गए हैं। हमें अपने हितों की रक्षा के लिए तैयार होना होगा। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने युद्ध समाप्त करने के ट्रंप के वादे पर कहा कि यदि तेजी से ऐसा कुछ होता है तो इससे यूक्रेन को नुकसान होगा।
भारत के लिए बेहतर है यह जुगलबंदी
ट्रंप-पुतिन जुगलबंदी यदि कारगर साबित होती है तो यह भारत के लिए भी बेहतर है। अमरीका हमेशा से भारत-रूस की दोस्ती से चिढ़ा रहता है। बाइडन प्रशासन का दबाव था कि भारत रूस से तेल आयात न बढ़ाए और रूस के खिलाफ पश्चिम के प्रतिबंधों में शामिल हो जाए। बाइडन चाहते थे कि भारत का रूस से रक्षा संबंध कम करे। ट्रंप के आने के बाद यह दवाब खत्म हो सकता है। हालांकि भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल मानते हैं कि ट्रंप के आने बाद भी रूस पर पश्चिम का प्रतिबंध आसानी से नहीं हटेगा और भारत के लिए भुगतान का संकट बना रहेगा। जेएनयू के प्रोफेसर संजय कुमार का मानना है कि ट्रंप अस्थिर हैं और वह कभी भी रूस के प्रति ज्यादा सख्त हो सकते हैं। भारत को इसके लिए तैयार रहना होगा।
‘हसीना प्रधानमंत्री’, यूनुस के सुर बदले
बांग्लादेश में अपदस्त प्रधानमंत्री शेख हसीना की ओर से ट्रंप को बधाई देने के लिए आवामी लीग के जिस लेटरहेड का इस्तेमाल किया गया उसमें हसीना को प्रधानमंत्री बताया गया है। सोशल मीडिया पर पत्र वायरल होने के बाद मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार का तनाव बढ़ गया है। यूनुस पहले से ही ट्रंप के कट्टर आलोचक रहे हैं। पहली बार ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर यूनुस ने उनकी तुलना सूर्यग्रहण और काले दिन से की थी। अब उनकी धड़कने तेज हैं। अपनी सुप बदलते हुए इसबार यूनुस ने ट्रंप को बधाई देते हुए कहा कि ‘मैं हमारी साझेदारी को और मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने को लेकर उत्सुक हूं।’