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कुत्ता सूंघकर पता कर लेता है कोरोना, फिनलैंड ने अध्ययन के आधार पर किया दावा, 92% सही मिली रिपोर्ट

Dog Detects corona by sniffing : फिनलैंड के हेलसिंकी विश्वविद्यालय ने शोध में पाया कि कुत्ता सूंघकर कोरोना का पता लगा लेते हैं। इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने यह पाया कि आरटी-पीसीआर (RT-PCR) टेस्ट के मुकाबले कुत्तों ने 92% नमूनों की सही पहचान बताई। वहीं कुत्ते ने हवाईअड्डे पर आने वाले यात्रियों में लगभग 98% पॉजिटिव रिपोर्ट सही बताई है।
 

May 20, 2022 / 04:13 pm

Abhishek Kumar Tripathi

Dog detects corona by sniffing, Finland claims on the basis of study, report found 92% correct

Dog Detects corona by sniffing : क्या कुत्ते सूंघकर कोविड -19 (कोरोना) पॉजिटिव मरीज की पहचान कर सकते हैं? इसका जबाब है हां, फिनलैंड के एक अध्ययन से पता चला है कि कुत्ते कोरोना पॉजिटिव मरीज की पहचान कर सकते हैं। खासकर अगर संक्रमण जंगली-प्रकार के वायरस के कारण हुआ हो तो और जल्दी पहचान कर लेते हैं, जिसका यूज करके उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है। हेलसिंकी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने चार कुत्तों को प्रशिक्षण दिया जिसके बाद उनसे 420 नमूनों का परीक्षण कराया। उन सभी 420 नमूनों के की रिपोर्ट उन्हें पहले से पता थी। इस परीक्षण में आरटी-पीसीआर (RT-PCR) टेस्ट के मुकाबले कुत्तों ने 92% सही रिजल्ट की पहचान की।
इन कुत्तों को जंगली प्रकार के SARS-CoV-2 वायरस से प्रशिक्षित किया जाता है। ये कुत्ते अन्य प्रकारों के वायरसों की पहचान करने में भी महारथ हासिल कर रखी है। यह शोध बीएमजे ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुआ, जिसके पहले भाग में बताया गया कि 92% नमूनों कुत्तों ने सही पहचान की। इस पहचान में कुत्तों ने पॉजिटिव व निगेटिव दोनों तरह की पहचान की है।
 

एयरपोर्ट पर कुत्तों ने कोरोना से संक्रमित लोगों की पहचान की

कुत्तों से एयरपोर्ट के वास्तविक जीवन में कोरोना वायरस की पहचान कराई गई, जिसमें कुत्तों ने 303 लोगों की पहचान की। इसमें से 296 लोगों की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट कुत्तों के रिपोर्ट से मेल खाई। इस अनुसार कुत्तों की कोरोना वायरस पहचानने की दर 97.7% थी।

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एयरपोर्ट के वास्तविक जीवन में 2020 से 2021 के बीच किया गया अध्ययन

कुत्तों से एयरपोर्ट के वास्तविक जीवन में अध्ययन सितंबर 2020 और अप्रैल 2021 के बीच किया गया था। उस समय देश में कोरोना वेरिएंट अभी उभर रहे थे। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया है कि प्रशिक्षण के समय फिनलैंड में कोरोना के वेरिएंट नहीं उभरे थे, इसलिए केवल जंगली प्रकार के नमूनों का इस्तेमाल करके प्रशिक्षण किया गया। नए वेरिएंट आने के बाद परिणाम में विसंगति आए थे।

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